________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1085 ) सम्भत (भू० क० कृ०) [सम्+म+क्त] 1. एकत्रित, | सम्मर्दः [सम्+मृद्+घञ्] 1. आपस में घिसना, घर्षण संगहीत, संकेन्द्रित 2. उद्यत, तयार, अन्वित, सज्जित 2. जमघट, भीड़, जमाव - यद्गोप्रतरकल्पोऽभूत्सम्म3. सुसज्जित, संपन्न, युक्त, सहित 4. रक्खा हुआ, | र्दस्तत्र मज्जताम्-रघु० 15 / 101, मा० 10 3. कुचजमा किया हुआ 5. पूर्ण, पूरा, समस्त 6. लब्ध, लना, पैरों से रौंदना 4. संग्राम, युद्ध। अवाप्त 7. ले जाया गया, वहन किया गया 8. पोषित / सम्मातुर-संमातुर दे० 'सत्' के अन्तर्गत / 9. उत्पादित, पैदा किया गया। सम्मादः [सम्मद्---घन] मद, नशा, पागलपन / सम्भतिः (स्त्री० [सम् / भ-क्तिन] 1. संग्रह 2. तैयारी, सम्मानः [सम्+मन्+घञ्] आदर, प्रतिष्ठा,-नम् 1. माप साज-सामान, सामग्री 3. पूर्णता 4. सहारा, संधारण, 2. तुलना। पोषण / सम्माजकः [सम् +मृज्+ण्वुल] झाड़ने वाला, बुहारी देने सम्भेदः [सम्+भिद्+घञ्] 1. टटना, टुकड़े-टुकड़े करना वाला, भंगी। 2. मिलाप, मिश्रण, सम्मिश्रण---आलोकतिमिरसम्भे- सम्मार्जनम् [सम्+म+ल्युट्] 1. बुहारना, मांजना दम्-मा० 10111, हर्षोद्वेगसम्भेद उपनत:-मा०८ 2. निर्मल करना, साफ करना, झाड़ना। 3. मिलना (जैसे निगाहों का) 4. संगम, (दो नदियों सम्मानी सम्मार्जन-- डीप झाडू, बुहारी। का ) मिलन .. तदुत्तिष्ठ पारासिन्धुसम्भेदमवगाह्य | सम्मित (भू० क० कृ०) [सम्+मान्-+ क्त] 1. मापा नगरीमेव प्रविशावः, अयमसौ महानद्योः सम्भेद:-मा० हुआ, नापा हुआ 2. समान माप, विस्तार या मूल्य का, 4, मधुमतीसिंधुसम्भेदपावनः - 9 / सम, वैसा ही, बराबर मिलता-जलता कान्तासम्मिसम्भोगः [सम् --भुज-घा | 1. आनन्द लेना, मजे लेना ततयोपदेशयुजे--- का० 1, रघु० 3.16 3. इतना सत्सम्भोगफलाः श्रियः सुभा० 2. कब्जा, उपयोग, बड़ा जितना कि, पहुँचता हुआ 4. समरूप. समनुकुल, अधिकृति ...मन० 8 / 2003. रति रस, मैथुन, सह- समानुपातिक 5. से युक्त, सुसज्जित / वास---सम्भोगान्ते मम समुचितो हस्तसंगहनानाम् सम्मिश्र, सम्मिश्रित (वि.) [सेम्+मिश् +अच्, क्त वा] -मेघ० 95 4. लम्पट, गांडू.. शृंगाररस का एक! 1. परस्पर मिलाया हुआ, अन्तमिश्रित / / उपभेद, दे० 'शृंगार' के अन्तर्गत / सम्मिश्लः [-सम्मिश्र, पृषो० रस्य ल:] इन्द्रका विशेषण / सम्भ्रमः [सम्+भ्रम्+घञ्] 1. मुड़ना, आवर्तन, चक्कर सम्मीलनम् [सम्+मील+ल्युट (फूल आदि का) बन्द काटना 2. जल्दबाजी, उतावली 3. अव्यवस्था, विक्षोभ, होना, ढकना, लपेटना। हड़बड़ी- कु० 3 / 48 4. डर, आतंक, भय,-श०१, सम्मुख (वि.) [स्त्री०-खा, खी) संमुखीन (वि.) [संगतं कि० 15 / 2 5. श्रुटि, भल, अज्ञान 6. उत्साह, क्रिया- मुखं येन-प्रा० ब०, सर्वस्य मुखस्य दर्शन:-सममुख शीलता 7. आदर, श्रद्धा गृहमुपगते सम्भ्रमविधिः +ख, सम सब्दस्य अन्त्यलोपः नि०] 1. सामने का, ...-भर्त० 2 / 63, तव वोयंवतः कश्चिद्यद्यस्ति मयि सम्मुख स्थित, आमने सामने, अभिमुखी, सामना सम्भ्रमः-रामा० / सम० -ज्वलित (वि.) विक्षोभ से करने वाला-कामं न तिष्ठति मदाननसंमखी सा उत्तेजित,-भेत् (वि.) घबड़ाया हुआ, हड़बड़ाया हुआ। श०१०३१, रघु० 15 / 16, शि. 10 / 86 2. मुठभेड़ सम्भ्रान्त (भू० क० कृ०) सम् +भ्रम्+क्त] 1. आवर्तित करने वाला, मुकाबला करने वाला 3. स्वस्थ / 2. हड़बड़ाया हुआ, विक्षुब्ध, विस्मित, व्याकुल / सम्मुखिन् (पु.) [सम्मुखमस्य अस्ति सम्मुख+ इनि] सम्मत (भू० क. कृ.) [सम्+मन्+क्त 1. सहमत, | दर्पण, शीशा, आईना। स्वीकृत, माना हुआ 2. पसन्द किया हुआ, प्रिय, | सम्मर्छनम् [ सम् + मूर्छ =ल्युट ] 1. मूर्छा, बेहोशी प्रियतम 3. समान, मिलता-जुलता 4. खयाल किया 2. जमता, गाढ़ा होना 3. गाढ़ा करना, बढ़ाना गया, सोचा गया, विचारा गया 5. अत्यन्त आदत, 4. ऊँचाई 5. विश्वव्याप्ति, सह-विस्तार, पूर्ण व्याप्ति / सम्मानित, प्रतिष्ठित, सम् सहमति, दे० सम्मति। | सम्मृष्ट (भू० क० कृ०) [सम्+म+क्त] / भली भांति संमतिः (स्त्री०)[सम्+मन+क्तिन्] 1. सहमति 2. सम- बुहारा गया, मांजा-धोया गया 2. छना हुआ, छाना नुकूलता, मान्यता, अनुमोदन, समर्थन 3. अभिलाषा, हुआ। इच्छा 4. आत्मज्ञान, आत्मा की जानकारी, सत्यज्ञान | सम्मेलनम् सिम् +-मिल् + ल्युट्] 1. परस्पर मिलना, मिलाप 5. खयाल, आदर, प्रतिष्ठा-कथमिव तव सम्मतिर्भ- 2. मिश्रण 3. एकत्र करना, संग्रह करना। वित्री सममृतुभिर्मुनिनावधीरितस्य-कि० 10 // 36 सम्मोहः [सम्+मुह+घञ] 1. घबराहट, अव्यवस्था, 6. प्रेम, स्नेह। प्रेमोन्माद 2. मूर्छा, बेहोशी 3. अज्ञान, मूर्खता सम्मदः [सम्+मद् + अप्] अतिहर्ष , खुशी, प्रसन्नता---शि० 4. आकर्षण / 15177 / | सम्मोहनम् [सम्+मुह+णि+ल्युट्] मंत्रमुग्ध करना, सम्मीलनम् बना, लपेटना / मीन (वि.) [संगतं For Private and Personal Use Only