________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1080 ) जागता हुआ 2. उगा हुआ, उत्पन्न, जन्मा (समास के ] समुदित (भू० क. कृ.) [सम् +उ+इ+क्त] 1. ऊपर अन्त में)-अथ नयनसमुत्थं ज्योतिरत्रेरिव द्योः रघु० गया हुआ, उठा हुआ, चढ़ा हुआ 2. ऊँचा, उन्नत 2175, भग० 7 / 27 3. घटित होने वाला, उत्पन्न / 3. पैदा किया हुआ, उगा हुआ, उत्पन्न 4. संहत समुत्पानम् [सम् +उ+स्था+ल्युट्] 1. उठना, जागना किया हुआ, संचित, संयक्त मद्भाग्योपचयादयं 2. पुनरुज्जीवन 3. पूरी चिकित्सा, पूरा आराम समुदितः सर्वो गुणानां गण:-- रत्न. 116 5. सहित, 4. (घाव आदि का) भरना, स्वस्थ होना --मनु० सज्जित / 8 / 287, याज्ञ० 2 / 222 5. रोग का चिह्न 6. उद्योग | समुदीरणम् [सम्+उ+ईर+ल्युट्] 1. कह डालना, में लगना, परिश्रमयुक्त धन्धा - जैसा कि 'संभूय बोलना, उच्चारण करना 2. दुहराना / समुत्थानम्', में-मनु० 8 / 4 / / समुद्ग (वि.) [सम् ।-उद्-|-गम् +ड] 1. उगने वाला, समुत्पतनम् सम् +उद्+पत्+ल्यूट] 1. उड़ना, ऊपर चढ़ने वाला 2. पूर्णत: व्यापक 3. आवरण या ढक्कन चढ़ना 2. प्रयत्न, चेष्टा / से युक्त 4. फलियों से युक्त,-द्ग: 1. ढका हुआ समुत्पत्तिः (स्त्री०) [सम्+उद्+पद्+क्तिन्] 1. पैदा- संदूक 2. एक प्रकार का कृत्रिम श्लोक--दे० नीचे वार, जन्म, मूल 2. घटना / 'समुद्गक' / समुत्पिञ्ज, समुरिपजल (वि.) [सम्+उद्+पि + समुद्गक: [समुद्ग+कन्] 1. एक हुका हुआ संदूक या पेटी अच, कलच् वा] अत्यन्त उद्विग्न या घबराया हुआ, ---श०४ 2. एक प्रकार का श्लोक जिसके दो चरणों अव्यवस्थित,-जः,-..ल: 1. अव्यवस्थित सेना 2. भारी की ध्वनि समान हों परन्तु अर्थ पृथक्-पृथक् हों-उदा० अव्यवस्था। कि०१५।१६। समुत्सवः [सम्+उ+सू+अप] महान पर्व / समुद्गमः [ सम्+उ+गम्+घा ] 1. उठान, चढ़ाई समुत्सर्गः सम्+उद्+सज्+घा] 1. परित्याग, छोड़ना | 2. उगना, निकलना 3. जन्म, पैदायश / 2. ढारना, डालना, प्रदान करना 3. मलत्याग करना, | समुगिरणम् [ सम् +उद्+ग+ ल्युट् ] 1. वमन करना, विष्ठा करना-मनु० 4 / 50 / उगलना 2. जो उगल दिया जाय, उल्टी 2. उठाना समुत्सारणम् सम्+उद्+स+णिच् + ल्युट्] 1. हांक ऊपर करना। देना 2. पीछा करना, शिकार करना / समुद्गीतम् [सम्+उद्+-गै+क्त ] ऊँचे स्वर से बोला समुत्सुक (वि.) [सम्यक् उत्सुकः-प्रा० स०] 1. अत्यन्त जाने वाला गीत / बेचन, आतुर, अधोर विरौषि समुत्सुकः-विक्रम | समुद्देशः [सम् +उद्+दिश्+घ ] 1. पूर्णतः निर्देश 4120, रघु० 1133, कु० 576 2. उत्कंठित, करना 2. पूर्णविवरण, विशिष्टीकरण, निर्देश करना। उत्सुक, शौक़ीन 3. शोकपूर्ण, खेदजनक / समुखत (भ० क. कृ.) [सम्+उ+हन्+क्त ] समुत्सेषः [सम्+उद्+सिधु घा] 1. ऊँचाई, उन्नति 1. ऊपर उठाया हुआ, ऊँचा किया हुआ, उन्नीत 2. मोटापन, गाढ़ापन / 2. उत्तेजित, हडबड़ाया हुआ 3. घमंड से फूला तमुवपत (भू०००) सम्-+उद्+अ +क्त] उठाया हुआ, घमंडी, अभिमानी 4. अशिष्ट, असभ्य 5. घृष्ट, हुआ, ऊपर खींचा हुआ (जैसा कुएँ से पानी)। ढीठ / समुनयः [सम् +उद्+1+अच] 1. चढ़ाई, (सूर्य का) समुशरणम् [सम्+उद्+ह+ल्यट 11. ऊपर उठाना, उदय होना 2. उगना 3. संग्रह, समुच्चय, संख्या, ऊँचा करना 2. उठाना 3. बाहर खींच लेना 4. उद्धार, ढेर,-सामर्थ्यानामिव समुदयः संचयो वा गुणानाम् मुक्ति 5. निवारण, समलोच्छेदन 6. (किनारे) से --उत्तर०६९ 4. सम्मिश्रण 5. संपूर्ण 6. राजस्व बाहर निकालना 7. डाला हुआ या उगला हुआ 7. प्रयल, चेष्टा 8. संग्राम यख 9. दिन 10 सेना भोजन / का पिछला भान। समुदत (पुं०) [सम् + उद्+ह+तच् ] मोचक, समुवागमः [सम् +उद्+आ+गम+घा] पूर्ण ज्ञान / मुक्तिदाता। समुदाचारः [सम्+उद्+आ+च+ध] 1. उचित | समुद्भवः[सम्+उ+भू+अप् ) जन्म, उत्पत्ति। व्यवहार या प्रचलन 2. संबोधित करने की उपयुक्त समुखमः [सम्+उ+यम् +घञ्] 1. ऊपर उठाना रीति 3. प्रयोजन, इरादा, रूपरेखा / 2. बड़ा प्रयत्न, चेष्टा कर्मया सह योद्धव्यमस्मिनुणसमुदायः [सम्+उद्+अय+घा] संग्रह, समुच्चय समुधमे-भग० 1122, समद्यमः कार्य: 3. उपक्रम, आदि, दे० 'समुदय'। समारंभ 4. धावा, चढ़ाई। समुपहरणम् [सम् +उद्+आ+हु+ल्युट्] 1. उद्घोष- | समुयोगः [ सम् +उद् + युज्+पज ] सक्रिय चेष्टा, णा, उच्चारण करना 2. निदर्शन। ऊर्जा। For Private and Personal Use Only