________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1081 ) समुद्रः (वि.) [सह मुद्रया--ब० स०] मुहर बंद, मुहर / समुपजोषम् (अव्य०) [सम् + उप+जुष्+अम् ] लगा हुआ, मुद्रांकित-समुद्रो लेखः, द्रः [सम्+ | 1. बिल्कुल इच्छा के अनुसार 2. प्रसन्नतापूर्वक / उद्+रा+क] 1. सागर, महासागर 2. शिव का | समुपभोगः। सम्+उप+भुज+घञ ] मैथुन, संभोग / विशेषण 3. 'चार' की संख्या। सम०-अन्तम् | समुपवेशनम् [सम् Fउप-विश्+ल्युट ] 1. भवन, 1. समुद्रतट 2. जायफल, अन्ता 1. कपास का पौधा, | आवास, निवास 2. बिठाना। --अम्बरा पृथ्वी,-अरः,-आरु: 1. मगरमच्छ 2. एक समुपस्था, समुपस्थानम् [सम्+उप+स्था-|-अड, ल्युट बड़ी विशाल मछली 3. राम का पुल,-कफा, फेनः वा] 1. पहुँच, समीप जाना 2. सामीप्य, निकटता समुद्रझाग,ग (वि०) समुद्र पर घूमने वाला, (गः) | 3. होना, आ पड़ना, घटना / 1. समुद्री व्यापार करने वाला 2. समुद्री कार्य करने समुपस्थितिः='समुपस्थानम्' दे० / वाला, समुद्र में घूमने वाला - इसी प्रकार 'समुद्र- समुपार्जनम् [ सम् +उप+अर्ज + ल्युट् ] एक साथ प्राप्त गामिन्,-यायिन् आदि, (गा) नदी, - गृहम् गरमी के करना, एक समय में ही अभिग्रहण / दिनों के लिए जल में बना हुआ भवन,-चुलकः | समुपेत (भू० क० कु०) [सम्+उप+इ+क्त ] 1. मिल अगस्त्य मुनि का विशेषण, - नवनीतम् 1. चन्द्रमा / कर आये हुए, एकत्रित, इकट्ठे हुए 2. पहुंचा 2. अमृत, सुधा, -मेखला,-रसना,-वसना पृथ्वी, 3. सज्जित, ''सहित,'''युक्त। --यानम् 1. समुद्री यात्रा 2. पोत, जहाज, किश्ती, समुपोढ (भू० क. कृ.) [सम्+उप+बह+क्त] ---यात्रा समुद्र के रास्ते यात्रा, यायिन् (वि०) दे० 1. ऊपर गया हुआ, उठा हुषा 2. वृद्धि को प्राप्त 'समुद्रग', योषित् (स्त्री०) नदी, - वह्निः वडवानल, 3. निकट लाया गया 4. नियंत्रित। - सुभगा गंगा नदी। समुल्लासः [सम्+उत्+लस्+घञ्] 1. अत्यंत चमक समृहः [ सम् +उद्+वह.+अच् ] 1. ढोना 2. उठाने 2. अति हर्ष, आनन्द / वाला। समूह (भू० 0 0) [ सम्+ऊह (वह)+क्त] समुद्वाहः [सम्+उ+वह +घञ] 1. ढोना 2. विवाह। 1. निकट लाया गया, एकत्रित 2. संचित, संगहीत समुद्वेगः [ सम्+उद्+विज्+घञ ] बड़ा डर, आतंक 3. लपेटा हुआ 4. सहित 5. सद्योजात, जो तुरन्त त्रास / पैदा हुआ हो 6. शांत, बशीकृत, शान्त किया हुआ समुन्दनम् [सम्+उन्द+ल्यूट ] 1. आर्द्रता 2. गीलापन, 7. वक्र, झुका हुआ 8. निर्मल, स्वच्छ 9. साथ ही सील, तरी। वहन किया गया 10. नेतृत्व किया गया, संचालित समुन्न (वि.) [सम् + उन्+क्त ] गीला, आई। किया गया 11. विवाहित / समुन्नत (भू० क. कृ०) [शम् ।उद्+नम्+क्त ] | समूरः, समूहः, समूरकः [संगती ऊरू यस्य-प्रा० ब०] 1. ऊपर उठाया हुआ, ऊंचा किया हुआ 2. ऊँचाई, | एक प्रकार का हरिण / उत्तुंगता, (मानसिक भी) ऊंचा उठना-मनसः समूल (वि.) [सह मलेन-ब० स०] जड़ों समेत जैसा शिखराणां च सदशी ते समुन्नतिः - कू० 651, रघु० ___समूलघातम् -'पूर्णरूप से उखाड़ कर, जड़ समेत 3110 3. प्रमुखता, ऊँचा पद या मर्यादा, उल्लास | शाखाओं को उखाड़ देना। ....उत्तमैः सह सनेन को न याति समुन्नतिम्, स जातो समहः [ सम् + ऊह+घञ्] 1. समुच्चय, संग्रह, संघात, येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् - सुभा० 4. उन्नति, समष्टि, संख्या--जनसमूहः, विघ्नसमूहः, पदसमूहः, समृद्धि, वृद्धि, सफलता -विनिपातोऽपि समः समुन्नतेः | आदि 2. रेवड़, टोली। -कि० 2 / 34, या / प्रकृतिः खल सा महीयसः सहते समूहनम् [ समूह,+ ल्युट् ] 1. साथ मिलाना 2. संग्रह, नान्यसमुन्नति यया-२।२१ 5. घमंड, अभिमान। राशि। समुन्नड (भू. क. कृ.) [सम्+उ+नह+क्त] | समूहनी [ सम्+ऊह, ल्युट्+ही ] बुहारी, माड़। 1. उन्नत, उच्छित 2. सूजा हुआ 3. पूरा 4. घमंडी, समूहाः[सम्+ऊह, +ण्यत् ] एक प्रकार की यज्ञाग्नि / अभिमानी, असहनशील 5. आत्माभिमानी, पण्डितं- समृड (भू० क० कृ०) [ सम्+ऋध्+क्त ] 1. समृद्धिमन्य 6. बंधनमुक्त। शाली, फलता-फूलता हुआ, हरा-भरा 2. प्रसन्न, समुन्नयः [सम्+उद्-नी+अच् ] 1. हासिल करना, भाग्यशाली 3. सम्पन्न, दौलतमंद 4. भरा पूरा, प्राप्त करना 2. घटना, बात / विशेषरूप से युक्त या सम्पन्न, खूब बढ़ा चढ़ा समुन्मूलनम् [सम् +उद्+मूल्+ ल्युट् ] जड़ से उखा- 5. फलवान् / ड़ना, समूलोच्छेदन, पूर्ण विनाश / समृद्धिः (स्त्री०) [सम् +ऋध्+क्तिन् ] 1. भारी समुपगमः [ सम्+उप+गम् +अप् ] पहुँच, संपर्क। वृद्धि, बढ़ती, फलना-फूलना 2. सम्पन्नता, सम्पत्ति, For Private and Personal Use Only