________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से सम्मान के साथ प्राप्त करना 5. 3 स्मिन् सद् + मनिन , स्वामी 2. एक ही स्थान से सम्बन्ध रखने वाला करना 4. अनुग्रह के साथ प्राप्त करना 5. उपहारों 3. आसन्नवर्ती, पड़ोसी। से सम्मान करना, देना, प्रदान करना, वितरण सपन् (न०) सीदत्यस्मिन् सद्+मनिन्] 1. घर, करना। मकान, आवासस्थान चकितनतनताङ्गी सब सद्यो सनः [ सन्+अच ] हाथी के कानों की फड़फड़ाहट / विवेश -भामि० 2 / 32 2. स्थान, जगह 3. मन्दिर सनत् (पुं० [सन्+अति ] ब्रह्म का विशेषण-(अव्य०) 4. वेदी 5. जल। सदा, नित्य / सम-कुमारः ब्रह्मा के चार पुत्रों सबस् (अव्य.) [समेऽह्नि नि०] 1. आज, उसी दिन में से एक। -~-गवादीनां पयोऽन्येद्युः सद्यो वा जायते दधि, पापस्य सनसूत्र दे० 'सणसूत्र'। हि फलं सद्यः - सुभा० 2. तुरन्त, तत्काल, फ़ौरन, सना (अव्य०) [-सदा, नि० दस्य नः1 हमेशा, नित्य / अकस्मात् -- चकितनतनताङ्गी सद्म सद्यो विवेश सनात् (अव्य०) [ सना+अत्+क्विप् ] सदा, हमेशा। -भामि० 2 / 32, कु० 3 / 29, मेघ०१६ 3. हाल सनातन (वि.) (स्त्री०-नी) [ सदा+टयुल, तुट, ही में, कुछ ही समय पीछे, जैसा कि सद्यो हुताग्नीन् नि० दस्य नः ] 1. नित्य, निरन्तर, शाश्वत, स्थायी -श. 4 में। समकालः वर्तमान काल, एष धर्मः सनातनः 2. दृढ़, स्थिर, निश्चित ----कालीन (वि.) हाल ही का,-जात (वि०) --उत्तर० 5 / 22 3. पूर्वकालीन, प्राचीन,- नः पुरा(सद्योजात) अभी पैदा हआ, (तः) 1. बछड़ा तन पुरुष, विष्णु -सनातनः पितरमुपागमत् स्वयम् 2. शिव का विशेषण,-पातिन् (वि०) शीघ्र नष्ट | भट्टि० 11 2. शिव का नाम 3. ब्रह्मा का नाम, होने वाला, नश्वर मेघ० 10, शुद्धिः, -शौचम् - नी 1. लक्ष्मी का नाम 2. दुर्गा या पार्वती का तत्काल की हुई शुद्धि / नाम 3. सरस्वती का नाम / सास्क (वि.) [सद्यस+कन 1. नूतन, अभिनव | सनाथ (वि.) [सह नाथेन-ब. स.] 1. स्वामी 2. तात्कालिक। वाला, प्रभु या पति वाला--त्वया नाथेन वैदेही सद् (वि.) [सद् +5] 1. विश्राम करने वाला, ठहरने | सनाथा ह्यद्य वर्तते ... रामा० 2. जिसका कोई अभिवाला 2. जाने वाला। भावक या प्ररक्षक हो-सनाथा इदानीं धर्मचारिणः सम्व (वि०) सह द्वन्द्वेन ब० स० झगड़ाल, कलहप्रिय, -~-श०१ 3. कब्जा किया हुआ, अधिकार किया विवादपूर्ण / हुआ 4. सम्पन्न, सहित, युक्त, समेत, पूर्ण, प्रायः सबसथः सिद्+बस+अथची गाँव। समास में लतासनाथ इव प्रतिभाति श० 1, सधर्मन् (वि०) समानो धर्मोऽस्य सधर्म-|-अनिच, ब० शिलातलसनाथो लतामण्डपः--विक्रम० 9, मेघ० 98, स०] 1. समान गुणों से युक्त 2. एक जैसा कर्तव्यों कु० 794, रघु० 9:42, विक्रम 4110 / वाला 3. उसी जाति या सम्प्रदाय का 4. समान, सनाभि (वि.) [समाना नाभिर्यस्य ब० स०] 1. एक मिलता-जुलता / मम० चारिणी वैध स्त्री, शास्त्रीय ही पेट का, सहोदर 2. रिश्तेदार, बंधु 3. समान, रीति से विवाहसूत्र में बद्ध स्त्री। मिलता-जुलता-गङ्गावर्तसनाभिर्नाभिः-दश. 4. स्नेहसमिणी दे० ऊ० 'सधर्मचारिणी'।। शील,-भिः 1. सगा भाई, नजदीकी रिश्तेदार समिन (वि०) (स्त्री० णी) सहधर्मोऽस्ति अस्य 2. रिश्तेदार, बंधु कि० 13:11 3. रिश्तेदार जो सधर्म + इनि, ब० स० दे० 'सधर्मन'। सात पीढ़ी के अन्तर्गत हो। सषित् (पुं०) [सह+इसिन्, हस्य घः] बैल, मांड। सनाभ्यः [सनाभि + यत् सात पीढियों के भीतर एक ही सध्रीची [सध्यच् + ङीष, अलोपः, दीर्घः] सखी, सहेलो, वंश का रिश्तेदार। अन्तरंग सहेली .. भट्रि० 67 / सनिः [सन् +-इन] 1. पूजा, सेवा 2. उपहार, दान सध्रीचीन (वि.) [सध्यच्+ख, अलोपः, दीर्घः] साथ | 3. अनुरोध, सादर निवेदन (स्त्री०) भी इस अर्थ में)। रहने वाला, सहचर। सनिष्ठीवम, सनिष्ठेवम् सिह निष्ठी (ष्ठे) वेन ब० स०] सध्यञ्च (वि.) (स्त्री. सध्रीची) [सहावति सह वह भाषण जिसमें मुंह से थूक निकले, ऐसी बोली -+अञ्च+विवन, सनि आदेशः साथ चलने वाला, / जिसमें थूक उछले / सहचर, साथी, पुं०-सहचर (पति)---शि० 8 / 44 / सनी [सनि ।-डी] 1. सादर अनुरोध 2. दिशा 3. हाथी सन् (म्बा० पर०, तना० उभ० सनति, सनोति, सनुते, के कानों की फड़फड़ाहट / सात, कर्मवा० सन्यते, सायते, इच्छा० सिसनिषति, सनीड (ल) (बि०) [समानं नीडमस्त्यस्य-ब० स०] सिषासति) 1. प्रेम करना, पसन्द करना 2. पूजा 1. एक ही घोंसले में रहने वाला, साथ-साथ रहने करना, सम्मान करना 3. प्राप्त करना, अधिगत वाला 2. निकटस्थ, समीपवर्ती / For Private and Personal Use Only