________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1065 ) करना, मार डालना, आ-, 1. नीचे बैठना, निकट बैठना। 2. घात में रहना 3. पहुँचना, उपगमन करना, पास | 1. निराश करना, हताश करना 2. कष्टग्रस्त करना, जाना-हिमालयस्यालयमाससाद-कु०७।६९,शि० 2 / 2 | पीडित करना। रघु० 614. 4. अकस्मात् मिलना, प्राप्त करना, निर्माण सदः [सद्+अच्] वृक्ष का फल / करना - रघु० 5 / 60, 14 / 25 5. भुग तना-भट्टि० सदंशकः [दंशेन सह कप्, ब० स०] केकड़ा। 3 / 26 6. मुठभेड़ होना, आकमण करना 7. रखना, | सदंशवदनः [सदंशं वदनं यस्य --ब० स०] बगले का एक (प्रेर०) 1. दुर्घटना होना, पाना, हासिल करना, भेद, कंक पक्षी।। प्राप्त करना,--अमरगणनालेख्यमासाद्य-रघु० 895 | सदनम् [सद् + ल्युट] 1. घर, महल, भवन 2. म्लान होना, 2. उपगमन करना, पास जाना, पहुंचना, अधिकार क्षीण होना, नष्ट होना 3. अवसाद, श्रान्ति, क्लान्ति में करना नक्र: स्वस्थानमासाद्य गजेन्द्रमपि कर्षति 4. हानि 5. यज्ञ-भवन 6. यम का आवास स्थान / -पंच० 3146, मेघ० 34, भट्टि० 8 / 37 3. पकड़ सदय (वि.) [सह दयया-ब० स०] कृपालु, सुकुमार, लेना-अनेन रथवेगेन पूर्वप्रस्थितं वैनतेयमप्यासाद- दयापूर्ण, यम् (अव्य०) कृपा करके, दया करके / येयम् विक्रम० 1 4. मुठभेड़ होना, आक्रमण करना सवस् ( नपुं० ) [सीदत्यस्याम्-सद्+असि] 1. आसन, -भट्टि० 6 / 95, उद्-, 1, डूबना (आलं० से भी), आवास, घर, निवासस्थान 2. सभा-पडूविना सरोबर्बाद होना, क्षीण होना-उत्सीदेयुरिमे लोकाः-भग० भाति सदः खलजनैविना-भामि० 11116, भर्तृ० 3 / 24 2. छोड़ देना, त्याग देना 3. विद्रोह के लिए 2 / 63 / सम०-गत (वि०) सभा में बैठा हुआ, उठना; (प्रेर० ) 1. नष्ट करना, उन्मूलन करना -रघु० 366, ---- गृहम् सभा-भवन, परिषत्-कक्षा - उत्साद्यन्ते जातिधर्माः-- भग० 142 - मनु० / - रघु० 3 / 67 / 9 / 267 2. उलटना 3. मलना, मालिश करना, उप-, सदस्यः [सदसि साधु वसति वा यत्] 1. सभा का सभासद् 1. निकट बैठना, पहुँचना, पास जाना उपसेदुर्दश- या सभा में उपस्थित व्यक्ति, सभा का मेम्बर (पंच, ग्रीवम् -भट्टि० 9 / 92, 6 / 135 2. सेवा में प्रस्तुत जूरी का सदस्य) 2. याजक, यज्ञ में ब्रह्मा या सहायक रहना, सेवा करना-आकल्पसाधनस्तैस्तरुपसेदुः __ ऋत्विज् श०३। प्रसाघका:-रघु० 17122, शि० 13134 3. चढ़ाई | सवा (अव्य.) (सर्वस्मिन् काले---सर्व+दा, सादेशः] करना, नि, 1. नीचे बैठ जाना, लेटना, विश्राम हमेशा, सर्वदा, नित्य, सदैव / सम० -.आनन्द (वि.) करना -उष्णाल: शिशिरं निषीदति तरोमलालनाले सदा प्रसन्न रहने वाला, (दः) शिव का विशेषण, शिखी --विक्रम 2 / 23 2. वना, विफल होना, -गतिः 1. वायु 2. सूर्य 3. शाश्वत आनन्द, मोक्ष, निराश होना,प्र., 1. प्रसन्न होना, कृपाल होना, --तोया, नीरा 1. करतोया नदी का नाम 2. वह मंगलप्रद होना-प्रायः तुमुन्नन्त के साथ तमाल- नदी जिसमें सदैव पानी रहता है, बहती हुई नदी, पत्रास्तरणासु रन्तुं प्रसीद शश्वन्मलयस्थलीषु-रघु० -दान (वि०) सदैव उपहार देने वाला, (वह हाथी) 6 / 64 2. आश्वस्त होना, परितुष्ट होना, सन्तुष्ट जिसके सदैव मद बहता हो-पंच० 2179 (-नः) होना-निमित्तमुद्दिश्य हि यः प्रकुप्यति ध्रुवं स तस्या- 1. मद बहाने वाला हाथी 2. गन्धद्विप, 3. इन्द्र के पगमे प्रसीदति -पंच० 11283 3. निर्मल होना, हाथी का नाम 4. गणेश, नर्तः एक पक्षी, खंजन स्वच्छ होना, स्पष्ट होना, चमकना (शा० और आ०) -फल (वि.) हमेशा फलने वाला, (लः) 1. बेल दिशः प्रसेदुर्मरुतो ववुः सुखाः ---रघु० 3 / 14, प्रससा- का पेड़ 2. कटहल का पेड़ 3. गूलर का पेड़ दोदयादम्भः कुम्भयोनेमहौजसः ..-4 / 21 4. फल 4. नारियल का पेड़, योगिन् (पुं०) कृष्ण का आना, सफल होना, कामयाब होना-क्रिया हि वस्तू विशेषण, --शिवः शिव का नाम / / पहिता प्रसीदति-रघु० 3 / 29, दे० प्रसन्न, (प्रेर०) सदृक्ष (स्त्री०-क्षी), सदृश, सदश (स्त्री० शी) (वि०) 1. राजी करना, अनुग्रह प्राप्त करना, प्रार्थना करना, | [समानं दर्शनमस्य-दृश्+क्स, क्विन्, का वा, निवेदन करना तस्मात्प्रणम्य प्रणिधाय कायं प्रसादये समानस्य सादेशः] 1. समान, मिलता-जुलता, तुल्य, त्वामहमीशमीडयम्-भग० 11144, रघु० 1188, अनुरूप (संबं० या अधिक के साथ अथवा समास याज्ञ० 3 / 283 2. स्पष्ट करना --चेतः प्रसादयति में प्रयुक्त) 2. योग्य, समुचित, उपयुक्त, समानरूप भर्त० 2 / 23, वि-, डूबना, थक जाना, 2. हताश जैसा कि प्रस्तावसदृर्श वाक्यम्-हि० 2 / 51 होना, निढाल होना, कष्टग्रस्त होना, खिन्न होना, 3. योग्य, ठीक, शोभाप्रद .. श्रुतस्य किं तत्सदृशं निराश होना, नाउम्मीद होना-विलपति हसति | कुलस्य - रघु०१४॥६१, 1 / 15 / / विषीदति रोदिति चञ्चति मञ्चति तापम्--गीत०४, 1 सदेश (वि०) सिह देशेन ब० स०] 1. किसी देश का 134 For Private and Personal Use Only