________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 2. अभिमन्त्रण 3. और्वदैहिकक्रिया, अन्त्येष्टि 9 / 261 5. संरचना, निर्माण 6. पड़ोस 7. आवास संस्कार / का सामान्य स्थल, सार्वजनिक स्थान 8. स्थिति संस्तम्भः [सम्+स्तम्भ+घञ ] 1. सहारा, टेक 2. दृढ़, अवस्था 9. कोई स्थान या जगह 10. चौराहा करना, सबल बनाना, जमाना 3. विराम, यति 11. निशान, चिह्न, विशेषक चिह्न 13. मृत्यु / 4. जड़ता, लकवा। संस्थापनम् सम्+स्था+णिच+ल्युद] 1. एक स्थान संस्तरः [ सम्+स्तृ+अप् ] 1. शय्या, पलंग, बिस्तर पर रखना, संचय करना 2 जमाना, निर्धारण करना, -~-नवपल्लवसंस्तरेऽपि ते रघु० 8 / 57 नवपल्लवसं- | विनियमित करना कुर्वीत चैषां प्रत्यक्षमर्घसंस्थापन स्तरे यथा रचयिष्यामि तनुं विभावसी-कु० 4 / 34 , नप:-मन०८।४२२ 3. स्थापित करना, पूष्ट करना 2. यज्ञ / 4. नियंत्रित करना, दमन करना, ना 1. नियन्त्रण, संस्तवः [सम्+स्तु+अप ] 1. प्रशंसा, स्तुति 2. जान- दमन 2. शान्त करने के उपाय, --संस्थापना प्रियतरा पहचान, घनिष्ठता, परिचय --- गुणाः प्रियत्वेऽधिकृता / विरहातुराणाम् - मृच्छ० 3 / 3 / न संस्तव:--कि० 4 / 25, नवगुणः सम्प्रति संस्तव- | संस्थित (भू० क. कृ.) [सम् +स्था+क्त] 1. साथ स्थिरं तिरोहितं प्रेम धनागमश्रियः . 4 / 22, शि० साथ खड़ा होने वाला, 2. विद्यमान, ठहरने वाला 7 / 31 / -नियोगसंस्थित-पंच० 1192 3. सटा हुआ, मिला संस्तावः [सम्+स्तु+घा] 1.प्रशंसा, ख्याति 2. सम्मि- हुआ 4. मिलता-जुलता, समान 5. संचित, राशीकृत लित स्तुतिपाठ, 3. यज्ञ में स्तुति पाठक ब्राह्मणों के 6. स्थिर, जमा हुआ, स्थापित 7. अन्दर या ऊपर बैठने का स्थान। रक्खा हुआ, अन्तर्वर्ती 8. अचल 9. रोका हुआ, पूरा संस्तुत (भू. क. कृ.) [सम्+स्तु+क्त] 1. प्रशस्त, किया हुआ, अन्त तक निष्पन्न, समाप्त-श० 3 जिसकी स्तुति की गई हो 2. मिलकर प्रशंसा किया 10. मृत, उपरत -- दे० सम् पूर्वक 'स्था'। गया 3. सम्मत, संवादी 4. धनिष्ठ, परिचित / संस्पितिः (स्त्री.) [सम्+स्था+क्तिन्] 1. साथ-साथ संस्तुतिः (स्त्री.) [सम्+स्तु+क्तिन्] प्रशंसा, स्तुति / होना, मिल कर रहना 2. सटा होना, निकटता, संस्त्यायः [सम्+स्त्ये+घञ] 1. संचय, राशि, संघात | सामीप्य 3. निवासस्थान, आवासस्थल, विश्रामगृह, 2. सामीप्य 3. फैलाव, प्रसार, विस्तार 4. घर, यथा नदीनदाः सर्वे सागरे यान्ति संस्थितिम्-मनु० निवासस्थान, आवास- संस्त्यायमेव गच्छावः - मा० / 6 / 90 4. संचय, ढेर 5. अवधि, कालावधि-हि. 29 5. परिचय, मित्रों या परिचितों की बातचीत / | 1143 6. अवस्थान, स्थिति, जीवन की दशा 7. प्रतिसंस्थ (वि.) [सम् + स्था+क] 1. ठहरने वाला, डटा / बंध 8. मृत्यु रहने वाला, टिकाऊ 2. रहने वाला, विद्यमान, मौजूद, संस्पर्शः [सम्+स्पृश्+घञ्] 1. संपर्क, छूना, सम्मिलन, स्थित (मास के अन्त में)---शिष्टा क्रिया कस्य चिदात्म- मिश्रण 2. छुआ जाना, प्रभावित होना 3. प्रत्यक्षशान, संस्था-~-मालवि० 1056, कु० 6160, मा० 5 / 16 संवेदन। 3. पालतू, घरेलू बनाया हुआ, सघाया हुआ 4. स्थिर, | संस्पर्शी सम्+स्पृश्-- अच्+ङीष्] एक प्रकार का गंधअचल 5. समाप्त, नष्ट, मृत,-स्थः 1. निवासी, युक्त पौधा। वास्तव्य 2. पड़ोसी, स्वदेशवासी, 3. गुप्तचर / संस्फाल: [सम्यक् स्फालः स्फुरणं यस्य प्रा०व०] 1. मेंढा संस्था सिम+स्था+अङ-+टाप] 1. संघात, सभा 2. बादल। 2. स्थिति, प्राणी की अवस्था या दशा 3. रूप, प्रकृति | संस्फेटः, संस्कोटः [सम्=स्फिट् (स्फुट)+घञ] संग्राम, ---रघु०१११३८ 4. धंधा, व्यवसाय, रहन-सहन का युद्ध। बंधा हुआ तरीका पृथक संस्थाश्च निर्ममे-मन० संस्मरणम् |सम+स्म+ल्युट] याद करना, मन में लाना। श२१ 5. शुद्ध और उचित आचरण 6. अन्त, पू | संस्मृतिः (स्त्री) [सम् + स्मृ+क्तिन्] पाद, प्रत्यास्मरण, 7.विराम, यति 8. हानि, विनाश 9. प्रलय 10. अनु- -- संस्मृतिर्भव भवत्यभवाय-कि० 18 / 27 / रूपता 11. राजकीय आज्ञा 12. सोम यज्ञ का एक मंत्रवः, संस्त्रायः [सम्+ +अप, घा वा] 1. बहना, टेपकना, रिसना 2. सरिता 3. तर्पण का अवशिष्टांश संस्थानम् [सम्+स्था+ल्युट] 1. संचय, राशि, मात्रा 4. एक प्रकार का चढ़ावा या तर्पण / 2. प्राथमिक अणुओं की समष्टि 3. संरूपण, विन्यास | संहत (भू० क० कृ०) सम्+हन्-+कत] 1. मिलकर --आकृतिरवयवसंस्थानविशेषः 4. रूप, आकृति, ___ आघात किया हुआ, घायल 2. बन्द, अवरुद्ध, दर्शन, सूरत, शक्ल .. स्त्री संस्थान चाप्सरस्तीर्थमारा- 3. सुग्रथित, दृढ़तापूर्वक जुड़ा हुआ 4. मिलाकर जोड़ा दुत्क्षिप्पनां ज्योतिरेक जगाम-श० 5 / 29, मनु० / हुआ, मित्रता में बंधा हुआ -कि० 1119 5. सम्पृक्त, For Private and Personal Use Only