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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1040 ) इलाधित (भू० क० कृ०) [श्लाघ् +क्त] प्रशंसा किया। व्यर्थक शब्द प्रयोग,--भितिक (वि.) श्लेष पर गया, स्तुति किया गया, सराहा गया। टिका हुआ (शा० -आधारित)। इलाध्य (वि.) [श्लाघ- ण्यत् ] 1. प्रशंसनीय, योग्य | श्लेष्मकः [ष्मन+कन] कफ, बलगम / - उत्तर० 4 / 9, 13 2. आदरणीय, श्रद्धेय / | श्लेष्मज (वि०) [श्लेष्मन् + जन्+3] कफ से उत्पन्न, दिलकुः [श्लिष्-+-कु, पृषो०] 1. कामुक, लंपट 2. दास, कफमूलक / ___आश्रित (नपुं०) नक्षत्र विद्या, फलित ज्योतिष / | श्लेष्मन् (पुं०) [श्लिष् + मनिन्] कफ, बलगम, कफ की शिलक्युः [श्लिष् +क्यु, पृषो०] 1. लंपट 2. सेवक / प्रकृति / सम० असिसारः कफविकार से उत्पन्न श्लिए / (भ्वा० पर० श्लेषति) जलना। पेचिश, मरोड़ --ओजस् (नपुं०) कफ की प्रकृति,-ना ii (दिवा० पर० श्लिष्यति, श्लिष्ट) आलिंगन -इनी 1. मल्लिका, एक प्रकार का मोतिया करना, श्लिष्यति चुम्बति जलधरकल्पं हरिरुपगत 2. केतकी, केकड़ा। इति तिमिरमनल्पम् गीत. 6 2. जमे रहना, श्लेष्मल (वि.) [ श्लेष्मन+लच ] कफ प्रकृति का, चिपके रहना, डटे रहना 3. संयुक्त होना, सम्मिलित बलगमी। होना 4. ग्रहण करना, लेना, समझना -नै० 3 / 69, श्लेष्मातः, श्लेष्मातकः [ श्लेष्मन् +अत्+अच्, पक्षे कन् आ---, उप--, आलिंगन करना, परिरंभण करना, घ] एक वृक्ष विशेष, लिसोड़े का पेड़ / वि-, 1. वियुक्त होना, दूर होना 2. फट जाना, श्लोक (म्वा० आ० श्लोकते) 1. प्रशंसा करना, पद्य रचना फट कर उड़ जाना, - भट्टि० 1467, (प्रेर०) अलग- | करना, छन्दोबद्ध करना 2. अवाप्त करना 3. त्यागना, अलग करना, मेघ० 7, सम् , 1. डटे रहना, चिपके / छोड़ना। रहना 2. सम्मिलित होना, मिलना। श्लोकः [ श्लोक+अच् ] 1. कवितामय प्रशंसन, स्तुतीiii (चुरा० उभ० श्लेषयति-ते) जोड़ना, सम्मिलित | करण 2. स्तोत्र मनु० 7 / 26 3. ख्याति, प्रसिद्धि, करना, मिलाना। विश्रुति, यश, यथा 'पुण्यश्लोक' में 4. प्रशंसा का श्लिषा [श्लिष्+अ+टाप 1. आलिंगन 2. चिपकना, विषय 5. किंवदन्ती, कहावत 6. पद्य, कविता-रघु० जुड़ जाना। 141707. अनुष्टुप् छन्द में कोई पद्य या कविता। श्लिष्ट (भू० क० कृ०) [श्लिष+क्त] 1. आलिंगित श्लोण (म्वा० पर० श्लोणति) एकत्र करना, इकठ्ठा करना, 2. चिपका हुआ, जुड़ा हुआ 3. टिका हुआ, झुका | बीनना तु० श्रोण' / हुआ 4. श्लेष से युक्त, दो अर्थों की संभावना इलोणः [ श्लोण+अच् ] लंगड़ा पुरुष, विकलांग / से युक्त-अत्र विषमादयः शब्दाः श्लिष्टाः-काव्य श्वक (म्वा० आ० श्व कुते) जाना, हिलना-जुलना। श्व, स्वच् (भ्वा० आ० श्वचते, श्वञ्चते) 1. जाना, शिलष्टिः (स्त्री०) [श्लिष्+क्तिन्] 1. आलिंगन 2. परि- हिलना-जुलना 2. खुला होना, मुंह बाना, फटना, रंभण / दरार हो जाना। श्लीपबम् [श्री युक्तं वृत्तियुक्तं पदम् अस्मात्, पृषो०] श्वज (भ्वा० आ० श्वजते) जाना, हिलना-जुलना / सूजी हुई टांग या फूला हुआ पैर, फोलपाँव / सम० बढ़ (चुरा० उभ. श्वठयति ते) 1. निन्दा करना (कुछ -प्रभवः आम का पेड़। के मतानुसार 'श्वठयति') 2. (श्वाठयति-ते) (क) श्लील (वि.) [श्रीः अस्ति अस्य-लच, पृषो०] 1. भाग्य जाना, हिलना-जुलना (ख) अलंकृत करना (ग) शाली, समृद्ध, दे० श्रील, 2. शिष्ट तु. 'अश्लील' / समाप्त करना, सम्पन्न करना (कुछ के मतानुसार इन श्लेषः [श्लिषघा ] 1. आलिंगन 2. चिपकना, जड़ना अर्थों में केवल 'श्वठयति')। 3. मिलाप, संगम, संपर्क-निरन्तरश्लेषधना:-का. श्व (चुरा० उभ० श्वण्ठयति ते) निन्दा करना। (यहाँ इसमें अगला अर्थ भी घटित होता है) श्वन् (पुं०) [श्वि+कनिन्, नि. (कर्त० श्वा, श्वानी, 4. अनेकार्थ शब्द प्रयोग, एक से अधिक अर्थ प्रकट श्वानः कर्म० ब०व० शुनः, स्त्री०. शुनी) कुत्ता करने वाले शब्दों का प्रयोग, वषर्थक, किसी शब्द या ---इवा यदि क्रियते राजा स कि नाश्नात्युपानहम् वाक्य की दो या दो से अधिक अर्थों की संभाव्यता, .... सुभा० भर्तृ० 2 / 31, मनु० 2 / 201 / सम. (यह एक अलंकार समझा जाता है, कवि इसका -- कीछिन् (पुं०) खिलारी कुत्तों को पालने वाला, बहुत प्रयोग करते है, परिभाषा के लिए दे० काव्य -...गणः कुत्तों का मुंड, गणिक: 1. शिकारी, 2. कुत्तों कारिका 84 तथा ९६)-आश्लेषि न श्लेषकवेर्भवत्याः को खिलाने वाला, धृतः गीदड़, नरः कमीना आदमी, श्लोकद्वयार्थः सुधिया मया किम-नै० 3269, दे० नीच व्यक्ति, निशम, निशा वह रात जिसमें कुत्ते 'शब्दश्लेष' भी। सम-अर्चः अनेकार्थ शब्द प्रयोग, भौंकते हों, --पमा -पच: 1. अतिनीच और For Private and Personal Use Only
SR No.020643
Book TitleSanskrit Hindi Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVaman Shivram Apte
PublisherNag Prakashak
Publication Year1995
Total Pages1372
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size37 MB
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