________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1034 ) --भास,—इचि (वि०) चमकीला काला,—सुन्दरः / की भांति झपट कर शीघ्रता से किसी काम में लगना, कृष्ण का विशेषण। चित,--जीविन् (पुं०) बाज को पकड़ कर तथा श्यामल (वि.) [श्याम+लच, ला+क वा] काला, उसे बेच कर जीवन निर्वाह करने वाला / गहरानीला, साँवला, --निशितश्यामलस्निग्धमुखी श्य [भ्वा० आ० श्यायते, श्यान, शीत या शीन) 1. जाना, शक्तिः -वेणी० 4, शि० 18136, उत्तर० 2 / 25, हिलना-जुलना 2. जम जाना 3. सूख जाना, कुम्ह—ल: 1: काला रंग 2. काली मिर्च 3. भौंरा लाना, आ-सूख जाना- रघु० 17 / 37, दे० 4. बटवृक्ष। 'आश्यान' भी। श्यामलिका [श्यामल+कन्+टाप, इत्वम्] नील का श्यनंपाता [श्येनस्य पातोऽत्र अण, मम् च] बाज की भांति पौधा। झपटना, शिकार, आखेट / श्यामलिमन् (पुं०) [श्यामल+इमनि] कालिमा, | श्योणाकः, श्योनाकः [श्य+ओणा (ना) क] एक वृक्ष का कालापन - श्यामां श्यामलिमानमानयत भोः सान्द्रः नाम, सोना पाड़ा। मषीकूर्चकैः-विद्ध० 31 / श्रहक (म्वा० आ० श्रङ्कते) जाना, रेंगना। श्यामा श्याम+टाप] रात, दिशेषतः काली रात, | श्रङ्ग (भ्वा० पर० श्रङ्गति) जाना, हिलना-जलना,रेंगना। -श्यामां श्यामलिमानमानयत भोः सान्द्रमषीकूर्चकैः |श्रण (म्वा० पर० चुरा० उभ० श्रणति, श्राणयति-ते) -विद्ध० 3.1 2. छाँह, छाया 3. काली स्त्री देना, प्रदान करना, अर्पण करना (प्रायः वि पूर्वक) 4. स्त्री विशेष (ने० 318 पर मल्लि. के अनुसार .... रघु० 5 / 1 / 'यौवनमध्यस्था'-शि० 8136, मेघ०८२, या, शीते / श्रत् (अव्य०) [श्री+डति] एक प्रकार का उपसर्ग जो सुखोष्णसर्वांगी ग्रीष्मे या सुखशीतला। तप्तकांचन- 'धा' धातु के पूर्व में लगता है, दे० 'धा' के अन्तर्गत / वर्णाभा सा स्त्री श्यामेति कथ्यते --भट्टि० 5 / 18 श्रय i (भ्वा० पर०, क्या० पर० श्रथति श्रथ्नाति) चोट तथा 81100 पर एक टीकाकार के अनुसार) पहुंचाना क्षति पहुंचाना, मार डालना। 5. निस्सन्तान स्त्री 6. गाय 7. हल्दी 8. मादा कोयल | ii (भ्वा० पर० पर० चुरा० उभ० श्रथति, श्राथयति-ते) 1. प्रियंगुलता-मालवि० 17, मेघ० 104 | 1. चोट पहुँचाना, मार डालना 2. खोलना, ढीला 10. नील का पौधा 12. तुलसी का पौधा 12. कमल 1. करना, स्वतन्त्र करना, मुक्त करना। का बीज 13. यमुना नदी 14. कई पौधों का नाम / iii (चुरा० उभ० श्रथयति-ते) 1. प्रयत्न करना, व्यस्त श्यामाकः श्याम+अ-अण्] एक प्रकार का अन्न, धान्य, रहना 2. निर्बल होना, कमजोर होना 3. प्रसन्न होना। सावां चावल-(न) श्यामाकमुष्टिपरिवधितको जहाति ! श्रथनम् श्रथ् ल्युट्] 1. मारना, विनाश करना 2. खोलना, ----श० 4 / 13, ('श्यामक' भी)। ढीला करना, मुक्त करना 3. प्रयत्न, चेष्टा 4. बांधना, श्यामिका [श्याम-+ ठन् भावे] 1. कालिमा, शामता बन्धन में डालना। —कु० 5 / 21 2. मलिनता, खोटापन (धातु आदिकों श्रद्धा [श्रत+धा-+अ+टाप] 1. आस्था, निष्ठा, का) -हेम्नः संलक्ष्यते हग्नौ विशुद्धिः श्याभिकापि वा विश्वास, भरोसा 2. देवीसन्देशों में विश्वास, धार्मिक --रघु० 1 / 10 / निष्ठा-श्रद्धा वित्तं विधिश्चेति त्रितयं तत्समागतम श्यामित (वि.) [श्याम + इतच्] काला किया हुआ, कृष्ण -श० 7.29, रघु० 2116, भग० 6 / 37, 1713 रंग का किया हुआ. कलटा। 3. शान्ति, मन की स्वस्थता 4. घनिष्ठता, परिचय श्यालः श्य+कालन् पत्नी का भाई, साला। 5. आदर, सम्मान 6. प्रबल या उत्कट इच्छा-तथापि श्यालक: [श्याल+कन्] 1. पत्नी का भाई 2. साला। वैचित्र्यरहस्यलब्धाः श्रद्धां विधास्यन्ति सचेतसोऽत्र श्यालकी, श्यालिका, श्याली [श्यालक+डी+टाप् इत्वं विक्रम० 1113, मालवि०६।१८ 7. दोहद, गर्भवती वा, श्याल+ङीष् पत्नी की बहन, साली।। स्त्री की इच्छा। श्याव (वि०) (स्त्री० वा,-धी) [श्य+वन् कपिश, गहरा | श्रद्धालु (वि.) [श्रद्धा+आलच] 1. विश्वास करने वाला, भूरे रंग का, काला, धूसर, धुमैला 2. लाख के रंग का, निष्ठावान 2. इच्छुक, (किसी वस्तु का) अभिलाषी, भूरा, --वः भूरा रंग / सम०-ल: आम का वृक्ष / -- लु: (स्त्री०) दोहदवती, गर्भवती स्त्री जो किसी श्येत (वि.) (स्त्री०-ता,-ना) [श्य + इतन्] सफेद, वस्तु की कामना करे। –तः श्वेत रंग। धन्य / (भ्वा० आ० श्रन्थते) 1. दुर्बल होना 2. निढाल श्येनः श्यि-इनन] 1. सफेद रंग 2. सफेदी 3. बाज, या विश्रान्त होना 3. ढीला करना, विश्राम करना। शिकरा 4. हिंसा, प्रचण्डता। सम-करणम्, I (क्रया० पर० श्रथ्नाति) 1. ढीला करना, स्वतन्त्र करना -करणिका 1 अलग चिता पर दाह करना 2. बाज / मुक्त करना 2. खूब प्रसन्न होना / For Private and Personal Use Only