________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / 1032 ) योग्य, संस्कृत किये जाने के योग्य ऋण परिशोध किये। शौक्तिकेयम्, श मशक्तिका-दुक, पितTJ T+क, शुक्ति +टुक्] जाने के योग्य,--ध्यः अभियक्तव्यक्ति, वह पुरुष | मोती। जिसने लगाये हुए आरोप से अपने आप को मुक्त | शौक्तिकेयः [शुक्तिका+तुक्] एक प्रकार का विष / करना है। शोषल्यम् शिक्ल---ष्या] श्वेतता, सफ़ेदी, स्वच्छता / शोफः [शु+फन्] सूजन, अर्बुद, रसौली, शोथ। सम० शौचम् [ शुर्भावः अण् ] 1. पवित्रता, स्वच्छता—पच० -- जित्,-हृत् (पुं०) भिलावे का पौधा। 14147 2. मलत्याग के कारण दूषित व्यक्तित्व का शोभन (वि.) (स्त्री०-नी) [शोभते-शुभ् + ल्युट्] शुद्धीकरण, विशेषतः किसी निकट सम्बन्धी की मृत्य 1. चमकीला, शानदार 2. मनोहर, सुन्दर, लावण्यमय होने पर (लोक-व्यवहार के अनुसार निश्चित समय 3. भद्र, शुभ, सौभाग्य शाली 4. खूब सजाया हुआ पर क्षौरकर्म आदि करा कर) शुद्ध होना 3. स्वच्छ 4. सदाचारी, पुण्यात्मा, न: 1. शिव 2. ग्रह 3. अच्छे होना, निर्मल होना 4. मलत्याग करना 5. खरापन, परिणामों की प्राप्ति के लिए यज्ञाग्नि में दी गई ईमानदारी / सम० . आचारः, कर्मन् (नपुं०) आहुति,-ना 1. हल्दी 2. सुन्दर या सती स्त्री-कु० -कल्पः शुद्धि विषयक संस्कार, रूपः सण्डास, 4 / 44 3. एक प्रकार का पीला रंग, गोरोचना,-नम् | शौचालय। 1. सौन्दर्य, कान्ति, दीप्ति 2. कमल। शौचेयः [शुधि+ठक्] घोबी। शोभा [शुभ् +अ+टाप्] 1. प्रकाश, कान्ति, दीप्ति, चमक | शौट (भ्वा० पर० शोटति) घमण्डी या अहंकारी होना। 2. (क) वैभव, सौन्दर्य, लालित्य, चारुता, लावण्य | शोटीर (वि.) [शोटेः ईरन् ] घमण्डी, अहंकारी, -वपुरभिनवमस्याः पुष्यति स्वां न शोभाम-श०१२१९, 1. शुरवीर, मल्ल, योषा 2. घमण्डी मनुष्य मेघ० 52,59 (ख) नैसर्गिक सौन्दर्य, (पर्वत आदि 3. संन्यासी। की) गरिमा, अदिशोभा रघु० 2 / 27 3. अलंकार, | शोटीयम्, शोण्डीयम् [शोटीर (शौण्डीर)+ष्य घमण्ड, ललित अभिव्यक्ति-शोभव मन्दरब्यक्षुभिताम्भोधि ___ अभिमान, दर्प। वर्णना-शि० 20107 4. हल्दी 5. एक प्रकार का शौउति (म्बा० पर० शोडति) दे० 'चोट' / रंग, गोरोचना / सम०-अञ्जनः एक अत्यंत उपयोगी शौण्ड (वि.) (स्त्री० डी) [ शुण्डायां सुरायामभिरतः वृक्ष, सौहंजना। अण्] 1. शराबी, शराब पीने का शौक़ीन, मद्यप शोभित (भू० क० कृ.) [शुभ+णिच्+क्त] 1. अलंकृत, 2. उत्तेजित, मतवाला, नशे में चर-(आलं.) अ. चारु, सजाया हुआ 2. सुन्दर, प्रिय / निकृतिनिपुणं ते चेष्टितं मानशौण्ड-वेणी० 5 / 21, शोषः [शुप+घञ] 1. सूखना, सूखापन-ह्रदशोषविक्ल- अभिमान में चूर, घमण्डी 3. कुशल, दक्ष (अधि० वाम्--कु० 4 / 39, इसी प्रकार आस्यशोषः, कंठशोषः के साथ या समास में) अक्षशौण्ड, दानशौण्ड आदि / 2, कृशता, कुम्हलान-शरीरशोषः, कुसुमशोष आदि शौण्डिकः, शौण्डिन् (पुं०) [ शुण्डा सुरा पण्यमस्य ठक्, 3. फुप्फुसीय क्षय, या क्षयरोग - संशोषणाद् रसादीनां इनि वा ] शराब खींचने वाला, कलाल, शराब शोष इत्यभिधीयते---सुश्रु० / सम-संभवम् पिप्पला- वित्रता, सूराजीवी, की,-नी कलाली, शराब विक्रेत्री मृल। ... पयोपि शौण्डिकीहस्ते वारुणीत्यभिधीयते हि. शोषण (वि०) (स्त्री०-जी) [शुष् + ल्युट्, स्त्रियां डीप् 3 / 11 / च] 1. सूखना, शुष्क करना 2. सुखाना, कृश करना, | शौण्डिकेयः [शुण्डिका+ढक्] राक्षस / --णः कामदेव का एक वाण,--णम् 1. सूखना, शुष्क | शौण्डी | शुण्डा करिकरः तदाकारः अस्ति अस्याः ---शुण्डा होना 2. चूसना, रसाकर्षण, अवशोषण 3. निः शेषण, +अण्+डीप् ] गजपिप्पली, बड़ी पीपल / क्लांति 4, कृशता, कुम्हलाहट 5. सोंठ। शौण्डीर (वि०) / शुण्डा गर्वोऽस्ति अस्य--शुण्डा+ईरन् शोषित (भू० क० कृ०) [शुष्+गिच्+क्त] 1. सुखाया +अण् ] 1. घमण्डी, अभिमानी 2. उत्तुङ्ग, उन्नत / गया 2. कृश हुआ, कुम्हलाया हुआ 3. परिश्रान्त / / शौखोदनिः [ शुद्धोदन+इस ] बुद्ध का विशेषण, शुद्धोदन शोषिन् (वि.) (स्त्री०-णी) [शुष+णिच्+णिनि]I का पुत्र / सुखाने वाला, कुम्हलाता हुआ, क्षीण होने वाला। शौद्र (वि.) (स्त्री०-दी) [शूद्र+अण् ] शूद्र सम्बन्धी, शोकम् [शुक-अण्] तोतों की लार, तोतों का झण्ड / शंद्रा स्त्री का पुत्र जिसका पिता (तीन वर्णो शौक्त (वि.) (स्त्री० –क्ती) [ शुक्ति -अण् ] अम्ल, __ में से किसी भी वर्ण का हो-दे० मनु० 9 / 160 / सिरके का। शौनम् [शूना + अण् कसाईखाने में रक्खा हुआ मांस / शौक्तिक (दि०) (स्त्री०-को) शुक्ति+ठक] 1. मोती | शौनकः[शनक+अण] एक महर्षि, ऋग्वेद प्रातिशाख्य से सम्बन्ध रखने वाला 2. खट्टा, सिरके का, तेजाबी।। तथा अन्य अनेक वैदिक रचनाओं के प्रणेता / For Private and Personal Use Only