________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( 1031 ) शेव्यः [ शिवि+ज्य] 1. कृष्ण के चार घोड़ों में से एक वर्ण, लाल रंग 2. आग 3. एक प्रकार का लाल रंग 2. पांडव सेना का एक योद्धा, एक राजा का नाम | का गन्ना, ईख 4. कुम्मत घोड़ा 5. एक दरिया का 3. घोड़ा। नाम जो गोंडवाना से निकलकर पटना के निकट गंगा शैशवम् शिशोर्भावः अण] बचपन, बाल्यावस्था (सोलह में गिरती है-प्रत्यग्रहीत पार्थिववाहिनीं तां भागीरी वर्ष से नीचे का समय)-शैशवात्प्रभृति पोषितां प्रियाम् शोण इवोत्तरङ्गः-रघु० 7.36 6. मंगलग्रह - तु. ___---उत्तर० 1145, शैशवेऽभ्यस्तविद्यानाम्-रघु० 1 / 8 / लोहित, णम् 1. रुधिर 2. सिंदूर। सम-अम्युः शैशिर (वि.) (स्त्री०-रो) [शिशिर+अण् ] जाड़े के एक प्रकार का बादल जो प्रलय के समय उठता है, मौसम से संबन्ध रखने वाला,---रः काले रंग का --अश्मन् (पुं०)-उपल: 1. लाल पत्थर 2. लाल, चातकपक्षी। एक माणिक्य,--पग्रम लाल रंग का कमल,-रत्नम् शष्योपाध्यायिका [ शिष्योपाध्याय --बुञ ] किशोरावस्था / लाल नामक माणिक्य, परागमणि / के छात्रों को पढ़ाना। शोणित (वि.) [शोण+इतब ] 1. लाल, लोहित, रक्त शो (दिवा० पर० श्यति, शात या शित, कर्मवा० शायते वर्ण का,-तम् 1. रुधिर ---उपस्थिता शोणितपारणा -प्रेर० शाययति, इच्छा० शिशासति) 1. पैनाना, मे-रघु० 2 / 39, वेणी० 121, मुद्रा०१८2. केसर, तेज़ करना 2. पतला करना, कृश करना, नि-, जाफरान / सम०-आह्वयम् केसर, जाफरान, उक्षित तेज करना। (वि.) रक्तरंजित, - उपल: पपरागमणि,-चन्दनम् शोकः [ शुच्+घञ ] अफसोस, रंज, दुःख, कष्ट, विलाप लाल चंदन,-५ (वि०) रुधिर पीने वाला,-पुरम् रुदन, वेदना-लोकत्वमापद्यत यस्य शोक:-रघु० बाणासुर का नगर / 14170, भग० 16 / सम० अग्निः , -अनल: | शोणिमन् (पुं०) [शोण+इमनि लालिमा, लाली।। शोक रूपी आग,-अपनोद रंज को दूर करना,-अभि- शोथः [शु+थन] सूजन, स्फीति / सम० - म्न,-जित् भूत,,--आकुल,-आविष्ट, उपहत,-विह्वल (वि०) (वि०) सूजन को दूर करने वाला, सूजन या स्फीति कष्टग्रस्त, वेदनाग्रस्त,-चर्चा शोक में लोन, नाशः को हटाने वाली औषधि,-जिह्मः पुनर्नवा,-रोगः अशोकवृक्ष, ...परायण, लासक (वि०) शोक से हाथ पांव आदि में सूजन होने का रोग, जलोदर, प्रस्त, पीडाभिभूत,-विकल (वि.) शोकाकुल, स्थानम् | -हृत् (वि.) सूजन हटाने वाली दवा (पुं०) शोक का कारण। भिलावा। शोचनम् [ शुन्+ ल्युट् ] रंज, अफसोस, विलाप / शोषः [शुध् + घा] 1. शुद्धिसंस्कार 2. संशोधन, समाधान शोचनीय (वि.) [शु+अनीयर् विलाप करने योग्य, 3. ऋणभुगतान, (अण) परिशोध . प्रतिहिंसा, चिन्त्य, शोच्य, दुःखद / प्रतिदान, बदला। शोच्य (वि.)[श+ण्यत ] 1. शोचनीय, विलाप शोधक (वि.) स्त्री०-का, धिका) शिव--णि+वल] करने योग्य, चिन्तनीय, दयनीय श० 3 / 10 1. शुद्ध करने वाला 2. रेचक 3. संशोधन करने वाला 2. कमीना, दुश्चरित्र / शोधन (वि०) (स्त्री-नी) [शुध--णिच् + ल्युट] शुद्ध शोचिस् (नपुं०) [शु+इसि] 1. प्रकाश, क्रान्ति, / करने वाला, स्वच्छ करने वाला,-नम् 1. शुद्ध करना, चमक 2. ज्वाला। सम०-केशः (शोचिष्केशः) स्वच्छ करना 2. संशोधन, (ऋण) परिशोधन करना अग्नि का विशेषण / 3. यथार्थ निर्धारण 4. अदायगी, बेबाकी, ऋण चुकाना शोटीर्यम् [ शुटीर+ष्या, 'शौटीर्यम्' इति साधुः | परा- 5. प्रायश्चित्त, परिशोधन 6. धातुओं को साफ़ करना क्रम, शौर्य, शूरवीरता। 7. प्रतिहिंसा, प्रतिदान, दण्ड 8. (गणि. में) व्यवशोठ (वि.) [ शठ +अच् ] 1. मुर्ख 2. कमीना, अघम कलन 9. तूतिया 10. मल, विष्ठा / ___3. आलसी, सुस्त,-ठ: 1. मूर्ख 2. निकम्मा, आलसी | शोधनकः [शोधन+कन्] दंड-न्यायालय का एक अधिकारी, 3. अधम या कमीना पुरुष 4. धर्त, ठग। मृच्छ० 9, फौजदारी अदालत का अफ़सर / शोण (भ्वा० पर० शोणति) 1. जाना, हिलना-जुलना | शोषनी [शोधन-+-डोष झाड़, बुहारी। 2. लाल होना। शोषित (भू० क० कृ.) {शुव+णिच् +क्त] 1. शुद्ध शोण (वि.) (स्त्री०-णा, णी) [शोण +अच् ] किया हुआ, स्वच्छ किया हआ 2. संस्कृत 3. छाना 1. लाल, गहरा लाल रंग, हल लालका रंग-स्त्या- हुआ 4. संशोधित, समाहित 5. ऋण परिशोध किया नावनद्धघनशोणितशोणपाणिरुतंसयिष्यति कचांस्तव हुआ, चुकाया हुआ 6. बदला लिया हुआ, प्रतिहिंसा देवि भीमः-वेणी. 121, मुद्रा० 118, कु०१७ की हुई।। 2. लाख के रंग का, लालिमायुक्त भूरा,-गः 1. लोहित | शोष्य (वि०) [शुष्+णि+यत्] शुद्ध किये जाने के For Private and Personal Use Only