________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir THA समुद्रशुक्तौ मुक्ताफलता अनाज की बाल, किंशाए / का पेड़, वटवृक्ष / ( 1023 ) क्तम् 1. मांस 2. कांजी 3. एक प्रकार का खट्टा / शुक्षिः [ शुस् +क्सिः ] 1. वायु, हवा 2. प्रकाश, कान्ति तरल पदार्थ, (सिरका आदि)। 3. अग्नि / शक्तिः (स्त्री०) [शुच् + क्तिन् / 1. सीप का खोल | शङ्गः [शम+ग, नि० साधुः / 1. बड़ का पेड़ 2. वदी -मोती की सीप ... पात्रविशेषन्यस्तं गुणान्तरं ब्रजति / बेर का पेड़ 3. अनाज काटूड, किशारु / शिल्पमाधातुः / जलमिव समुद्रशुक्तो मुक्ताफलतां | शुङ्गा [ शुङ्ग-टाप् ] 1. नूतन कली का कोष 2. जो या पयोदस्य-मालवि०१६, भर्तृ० 2 / 67 रघु०१३।१७ 2. शंख 3. छोटी सीप, पुट्ठा 4. खोपड़ी का एक / शुङ्गिन् (पुं०) [ शुङ्गा+इनि | बड़ का पेड़, वटवृक्ष / भाग 5. घोड़े की छाती या गर्दन पर) पर बालों शच् / (म्वा० पर० शोचति) खिन्न होना, दुःखी होना, का घू घर, शि० 5 / 4, दे० उस पर मल्लि० 6 एक शोक करना, विलाप करना-अरोदीद्रावणोऽशोचीप्रकार का गंधद्रव्य 7. दो कर्ष के समान विशेष न्मोहं चाशिश्रियत्परम्-भट्टि० 1571, 2116, तोल | सम०-उद्भवं जम् मोती, पुटम्,-पेशी भग० 1615 2. खेद प्रकट करना, पछताना, मोती की सीप का खोल,-वधः मोती का सीप, अनु शोक मनाना, विलाप करना, खेद प्रकट करना वीजम् मोती। - नष्टं मृतमतिक्रान्तं नानुशोचन्ति पंडिता:- पंच० शुक्तिका [ शुक्ति+कन् +टाप् ] मोती का सीप, सीपी / 11333 -भग० 2 / 11, वेणो० 5 / 4, उत्तर० 3 / 32, शुक्रः शुच्+रक्, नि० कुत्वम् ] 1. शुक्रग्रह परि--, विलाप करना, शोक मनाना। 2. राक्षसों के गुरु जिसने अपने जादू के मंत्रों से युद्ध ii (दिवा० उभ० शुच्यति-ते) 1. खिन्न होना, में मरे हुए राक्षसों को पुनर्जीवित कर दिया था- दे० दुःखी होना 2. आर्द्र होना 3. चमकना 4. स्वच्छ 'कच' ,देवयानी' और 'ययाति' 3. ज्येष्ठमास 4. अग्नि, या निर्मल होना 5. कुम्हलाना, मुआना। - क्रम् 1. वीर्य ..पुमान् सोऽधिके शुक्रे स्त्री शुच, शुचा (स्त्री०) [ शुच -क्विप्, टाप वा ] रंज, शोक, भवत्यधिके स्त्रियाः . मनु० 3 / 69, 5163 2. किसी कष्ट, दुःख-विकलकरणः पाण्डुच्छायः शुचा परिदुर्बल: भी वस्तु का सत् / सम०---अनः मोर,-कर -उत्तर० 3 / 22, कामं जीवति मे नाथ इति सा विजही (वि०) शुक्र या वीर्य सम्बन्धी, (29) हड्डियों में शुचम्-रघु० 12175, 8 / 72, मेघ०८८, श० 4 / 18 / रहने वाली मज्जा, --बारः, बासरः भृगुवार, जुमा शचि (वि०)[ शुच-कि ] 1. विमल, विशुद्ध, स्वच्छ --शिष्यः राक्षस / --सकलहंसगुणं शुचिमानसं--कि० 5 / 13 2. श्वेत, शुक्रल, शुक्रिय (वि०) [ शुक्र+ला+क, शुत्र+घ ] | कि० 18 / 18 3. उज्ज्वल, चमकदार--प्रभवति शुचि1. वीर्यसम्बन्धी 2. शुक्र या वीर्य को बढ़ाने वाला / बिम्बोद्माहे मणिर्न मदां चयः-उत्तर० 214 शुक्ल (वि.) [शु+लुक, कुत्वम् ] सफेद, विशुद्ध, 4. सद्गुणी, पवित्रात्मा, पुण्यात्मा, निष्पाप, निष्कलंक उज्ज्वल जैसा कि 'शुक्लापाङ्ग' में,--- क्ल: 1. सफेद --- अथ तु वेत्सि शुचिव्रतमात्मनः---श० 5 / 27, पथ: रंग 2. चांद्रमास का उज्ज्वल या सूदी पक्ष 3. शिव, शुचेर्दर्शयितार ईश्वराः-रघु० 3 / 46, कि० 5 / 13 -क्लम् 1. चाँदी 2. आंखों की सफेदी में होने वाला 5. पवित्रीकृत, निर्मल किया हुआ, पुनीत बनाया रोग विशेष 3. ताजा मक्खन 4. (खट्टी) कांजी। हुआ-रघु० 181, मनु० 471 6. ईमानदार, सम०-अङ्ग:--अपाङ्गः मोर (आँखों के श्वेत कोण खरा, निष्ठावान्, सच्चा, निश्छल-पंच० 11200 होने के कारण) शुक्लापांगैः सजलनयनः स्वागतोकृत्य 7. सही यथार्थ,---चिः 1. श्वेत वर्ण 2. पवित्रता, केका: - मेघ० 22-- अम्लम् एक प्रकार का खट्टा पवित्रीकरण 3. भोलापन, सद्गण, भद्रता, खरापन साग, चूक,-उपला रवेदार चीनी,-कण्ठकः एक प्रकार 4. शुद्धता, यथार्थता 5. ब्रह्मचारी की दशा 6. पवि. का जल कुक्कुट,-कर्मन् (वि.) शुद्धाचारी, सद्गुणी, त्रात्मा 7. ब्राह्मण 8. ग्रीष्म ऋतु-उपययो विदधन्न-- कुष्ठम् सफेद कोढ़,--धातुः खड़िया मिट्टी,-पक्षः वमल्लिका: शुचिरसो चिरसौरभसंपदः - शि० 622, मास का सुदी पक्ष, वस्त्र (वि०) श्वेत वस्त्रधारी, श५८, रघु० 3 / 3, कु० 5 / 20 1. ज्येष्ठ और -वायसः सारस आषाढ़ के महीने 10. निष्ठावान् या सच्चा मित्र शुक्लक (वि.) [ शुक्ल किन् ] सफ़ेद,-क: 1. सफेद 11. सूर्य 12. चन्द्रमा 13. अग्नि 14. शृंगार रस रंग, 2. चान्द्र मास का सुदी पक्ष / 14. शुक्रग्रह 16. चित्रक वृक्ष / सम०-ब्रुमः पवित्र वटशुक्लल (वि.) [ शुक्ल+ला+क ] सफेद। वृक्ष, -मणिः स्फटिक, मल्लिका एक प्रकार की शुक्ला[ शुक्ल+टाप् ] 1. सरस्वती 2. रवेदार चीनी चमेली, नवमल्लिका,-रोचिस् (पुं०) चन्द्रमा,-व्रत 3. श्वेतवर्ण वाली स्त्री 4. काकोली नाम का पौधा / (वि.) पुण्यात्मा, सद्गुणी,-स्मित (वि.) मधुर शुक्लिमन् (पुं०) [शुक्ल+इमनिन् ] श्वेतता, सफे दी। मुस्कान वाला-कु० 5 / 20, रघु० 8 / 48 / For Private and Personal Use Only