________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शीवि टकर, क्षतिक शीर्षादेशः वैद्यः - ( 1022 ) कुम्हलाया हुआ पत्ता (इसी प्रकार 'शीर्णपत्रम् (र्णः) / स्वभाव, अच्छी प्रकृति---शीलं परं भूषणम्--भर्तृ० नीम का पेड़,... वृन्तम् तरबूज / 2 / 82 पंच० 5 / 2 4. सद्गुण, नैतिकता, सदाचरण, शीवि (वि०) [ श+क्विन् ] विनाशकारी, आघातयुक्त, सज्जीवन, शुचिता, ईमानदारी-दौमन्त्र्यानृपतिवि नश्यति....''शीलं खलोपासनात् ---भर्त० 242, 39, शीर्षम् [शिरस पृषो० शीर्षादेशः, शु+क सुक् च वा ] तथा हि ते शीलमदारदर्शने तपस्विनामध्यपदेशतां 1. सिरशीर्षे सो देशान्तरे वैद्यः - कर्पूर०, मुद्रा० गतम्-कु० 5 / 36, कि० 11 / 25, रघु० 1070 श२१ 2. काला अगर। सम० - अवशेषः केवल 5. सौन्दर्य, सुन्दर रूप। सम० खण्डनम् शुविता सिर ही बचा हुआ,-आमयः सिर का कोई भी रोग, या नैतिकता का उल्लंघन-पंच० 1, * धारिन् (पुं०) -छेदः सिर काट डालना, ..-छेद्य (वि.) जिसका शिव का विशेषण,-वंचना शुचिता का उल्लंघन, सिर काट डालना चाहिए, सिर काट कर मारे जाने के प्राप्तेयं शीलवंचना-मृच्छ० 1144 / योग्य-उत्तर० 218, रघु० 15151, रक्षकम् लोहे | शीलनम् [शील+ल्युट ] 1. बार बार अभ्यास, प्रयोग, का टोप / अध्ययन, संवर्धन 2. निरन्तर प्रयोग 3. सम्मान करना, शीर्षक: [ शीर्ष-कन् ] राहु का विशेषण, कम् 1. सिर सेवा करना 4. वस्त्र पहनना। 2. खोपड़ी 3. लोहे का टोप 4. सिर का वस्त्र, (टोपी, | शीलित (भ० क. कृ.) [शील-+क्त ] 1. अभ्यस्त, टोप आदि) 5. व्यवस्था, निर्णय, न्यायालय का प्रयुक्त 2. धारण किया हुआ 3. बार-बार किया निर्णय / हुआ, देखा हुआ 4. कुशल 5. युक्त, सहित, शीर्षण्यः [ शीर्षन+यत् ] साफ़ तथा सुलझे हुए सिर के | सम्पन्न / बाल,--ण्यम् 1. लोहे का टोप 2. टोप, टोपी। शोवन् (पुं०) [शीङ्+क्वनिप् ] अजगर / शीर्षन् (नपुं०) / शिरस् शब्दस्य पृषो० शीर्षन् आदेशः ] शुंशुमारः [ 'शिशुमार' का भ्रष्ट रूप] सूस नामक सिर, (इस शब्द के पहले पाँच वचनों में कोई रूप जल जन्तु / नहीं होते, कर्म० द्वि० व० के पश्चात् 'शिरस्' या | शुरु (भ्वा० पर० शोकति) जाना, हिलना-जुलना / 'शीर्ष' को विकल्प से आदेश हो जाता है)। शुकः [ शुक्--क] 1. तोता-आत्मनो मुखदोषेण बध्यन्ते शील i (भ्वा० पर० शीलति) 1. मध्यस्थता करना, भली शुकसारिका:-सुभा० / तुराताम्रकूटिल: पक्षहरितकोभांति सोचना 2. सेवा करना, सम्मान करना, पूजा मलैः। त्रिवर्णराजिभिः कण्ठरेते मंजूगिरः शुकाः --- करना 3. सम्पन्न करना, अभ्यास करना / काव्या०२।९ 2. सिरस का पेड़ 3. व्यास का एक ii (चुरा० उभ. शीलयति-ते) 1. सम्मान करना, पुत्र (कहा जाता है कि 'शक' व्यास के वीर्य से पूजा करना 2. बार बार अभ्यास करना, प्रयोग उत्पन्न हुआ था, जब घृताची नाम को अप्सरा शकी करना, अध्ययन करना, चिन्तन करना, ध्यान करना के रूप में इस पृथ्वी पर धूम रही थी तो उसको -----श्रुतिशतमपि भूयः शीलितं भारतं वा * भामि० देख कर व्यास का वीर्यपात हो गया था। शुक 2135, शीलयन्ति मुनयः सुशीलताम् -कि० 13 / 43 जन्म से ही दार्शनिक था उसने अपनी नैतिक वाक्3. धारण करना, पहनना-चल सखि कुजं सतिमिर पटुता से स्वर्गीय अप्सरा रम्भा के काम मार्ग पर पुजं शीलय नीलनिचोलम-गीत०५ 4. जाना, दर्शन प्रेरित करने के प्रत्येक प्रयत्न का सफलता पूर्वक करना, बार बार जाना—यदनुगमनाय निशि गहन मुकाबला किया। कहते हैं कि उसी ने राजा मपि शोलितम् -गीत०७, स्मेरानना सपदि शीलय परीक्षित को भागवत पुराण सुनाया। अत्यन्त कठोर सौधमौलिम्-भामि० 214, अनु --, परि , बार साधक के रूप में उसका नाम किंवदन्ती की तरह बार अभ्यास करना, सुधारना, चिन्तन करना-शश्व प्रसिद्ध हो गया,-कम् 1. कपड़ा, वस्त्र 2. लोहे का च्छ तोऽपि मनसा परिशीलितोऽसि---राज० / टोप 3. पगड़ी 4. वस्त्र की किनारी या मगजी / शीलः [ शील+अच् ] अजगर, -- लम् 1. स्वभाव, प्रकृति, सम-अवनः अनार का पेड़,-तरः,-द्रुमः सिरस का चरित्र, प्रवृत्ति, रुचि, आदत, प्रथा - समानशीलव्य- पेड़ - नास (वि.) तोते जैसी नाक वाला,- नासिका सनेषु सख्यम् - सुभा०, 'अनुसक्त' 'दुर्व्यस्त' 'प्रवण' तोते की नाक जैसी नाक,- पुच्छः गन्धक, - पुष्पः, 'लीन' 'अभ्यास' आदि अर्थ प्रकट करने के लिए | -प्रियः सिरस का पेड़,-पुष्पा जामुन का पेड़,-वल्लभः बहधा समास के अन्त में प्रयुक्त, कलहशील 'कलह "अनार का पेड़, --वाहः कामदेव का विशेषण / करने के स्वभाव वाला' 'झगड़ाल' भावनशील चिन्तन- शुक्त (भू० क० कृ०) [शुच+क्त ] 1. उज्ज्वल, विशुद्ध, शील, इसी प्रकार दान , मृगया', दया, पुण्य , स्वच्छ 2. अम्ल, खट्टा 3. कर्कश, खरखरा, कड़ा, आश्वासन आदि 2. आचरण, व्यवहार 3. अच्छा | कठोर 4. संयुक्त, जुड़ा हुआ 5. परित्यक्त, एकाकी, For Private and Personal Use Only