________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // 212 // स्कार-दर्शनात् // अन्यथाकन्याविवाहेकर्तृत्वासंभवाच्च // // अथमंडनमुंडनविचारः॥ भास्कर. संहितासारावल्यां // नमंडनान्मुंडनमूर्ध्वमिष्टंनपुत्रयोर्मुडनमेकवर्षे // नपुंविवाहो / ध्वमृतुत्रयोपविवाहकायदुहितुश्चकुयोंदिति // एतत्सपिंडतायांज्ञातव्यं // कुले ऋतुत्रयादाक्नकुर्यान्मुंडनत्रयं // प्रवेशान्निर्गमंपश्चान्मंडनान्नतुमुंडनमितिग दितत्वात् // मंडविवाहः // मुंडनंचौलोपनयनादि // तथाचसारसमुच्चये // पा णिपीडनविधेरनंतरंचौलकोपनयनेविवर्जयेदिति // चौलोपनयनाभ्यांगोदानसमाव / तनयोरपिग्रहणमतिदेशवात् // तथाच श्रीपतिः // व्रतबंधवद्विधेयंनियतव्रतविसर्ग | श्च॥ केशांतकर्मविहितंचौलसमंषोडशेवर्षेइति // एतदेवस्पष्टीकृतं ज्योतिर्निबंधे // व्रतंसमावर्तनकंसचौलंकेशांतमेतानिवदंतितज्ज्ञाः॥क्षौरंपुरस्कृत्यभवंतियस्माचत्वा // 212 // रितस्मादिहमुंडनानीति // केचिच्चौलकर्मेवमुंडनमितिवदंतितबहुवाक्यविरोधाद / GOOOOOOOOGota POA6A6000-6OAAOCOCCC 20000 For Private and Personal Use Only