________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॐ येतेशतं स्वर्काःस्वा० इदंवरुणायसवित्रेविष्णवेविश्वभ्योदेवेभ्योमरुद्भ्यःस्वकें / भ्यश्च० // 11 // ॐ उद्दुत्तमम् स्यामस्वा• इदंवरुणायादित्यायादितये // 12 // ॐ प्रजापतयेस्वाहा. इदंप्रजाप० // 13 // ॐ अग्नयेस्विष्टकृतेस्वाहाइदमनयेस्वि? ष्टकृतेन // 14 // ततःसंस्रवप्राशनं // पवित्राभ्यांमार्जनं // अनौपवित्र तिपत्तिः // पूर्णपात्रवरयोरन्यतरस्यब्रह्मणेदानं // तचताम्रादिपात्रे // प्रणीता। विमोकः // ॐ आपःशिवाइतिमंत्रणप्रणीताविमोकोदकेनमूय॑भिषिचेत् // अथै / / नंब्रह्मचारिणमाचार्यःसठशास्ति // ब्रह्मचार्यसीत्याचार्योवदति॥भवामीतिब्रह्मचा। रीवदति // अपोशान // इत्याचार्यः // अशनानि // इतिब्रह्मचारी // कर्मकुरु // इत्याचार्यः॥ करवाणि // इतिब्रह्मचारी // मादिवासुषुप्थाः // इत्याचार्यः॥नस्व / 1 सप्तमंत्राणांलक्षणानिब्रह्मचर्यब्राह्मणे / 20. For Private and Personal Use Only