________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit -छ ANDGAO7000000000000000000 प्रदेयानिवासांसिकुसुमानिच // नवग्रहेभ्योदेयानिसुगंधसहितान्यपि॥ // गंधाः॥ आदित्यभूमिपुत्रार्थदापयेद्रक्तचंदनं // चंदनंसितवर्णचप्रदद्यात्सोमभार्गवे // कुं। कुमेनचसंयुक्तंचंदनंजीवसौम्ययोः॥ अगरोश्चंदनंदद्याद्राहुकेवर्कजेषुच॥ // धूपः॥ रवेःकुंदरुकंधूपंशशिनस्तुघृताक्षताः // भीमेसर्जरसंचैवअगरुंचबुधस्मृतं // सिल्ह / कंगुरवेदद्याच्छुक्रेबिल्वागस्तथा // गुग्गुलंमंदचारेतुलाक्षाराहोश्चकेतवे // नैवेद्यं // गुडौदनरवेर्दद्यात्सोमायघृतपायसं // लोहितायमसूरान्नंबुधायक्षीरपाष्टिकं॥ दध्यो ? दनंगुरोर्दद्यात्शुक्रायचघृतौदनं // मिश्रितंतिलमाषान्नंनिवेद्यंचशनैश्चरं // राहोर्मा / षौदनंदद्यात्केतोश्चित्रौदनंतथा // // हविर्द्रव्यं // तिलाज्यचरुभिर्द्रव्यंसमिधांचय / / हाथातथं // ग्रहादीनांचसर्वेषांहविर्द्रव्यमुदीरितं // // समिधस्तु // अर्कःपलाशख For Private and Personal Use Only