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________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org संस्कार॥६३॥ एस000000000ROAROO स्थाप्यइतिन्यायोयथातथमिति // मदनरत्नसंग्रहे॥ // ग्रहस्यदक्षिणेभागेस्थापये भास्क दधिदेवताः // ग्रहस्यवामपार्श्वेतुस्थाप्या प्रत्यधिदेवताः // अधिदेवतानामानि // ईश्वरंचउमांचैवस्कंदंविष्णुंतथैवच // ब्रह्माणेंद्रंयमंचैवकालंचैवतुअष्टमं // चित्रगुप्तं / तुनवमंअधिदैवतकीर्तिताः // // प्रत्यधिदेवतानामानि // अग्निश्चैवतथाआपःपृथि / / वीविष्णुरेवच // इंद्रश्चैवतथेंद्राणीप्रजापतिस्तथैवच // सर्पश्चैवतुब्रह्माचएताःप्रत्य हैं। धिदेवताः // // संग्रहे // राहुमंददिनेशानामुत्तरस्यांयथाक्रमं // गणेशदुर्गावायुश्च : राहुकेखोश्चदक्षिणे॥ आकाशमश्विनौदेवोस्थापयित्वाक्रमेणतु ॥वास्तोष्पतिक्षेत्रपा लंस्थाप्यगुरूत्तरेषुच // एता:सदैवसंस्थाप्याःकर्मसाद्गुण्यदेवताः॥ इंद्राग्नियमनै त्यावरुणोवायुरेवच // कुबेरेशानावित्यष्टौप्रागादिमदिशाधिपाः // ब्रह्माणंचततः // 63 // स्थाप्यपूर्वेशान्योस्तुमध्यमे // प्रतीचिनैतिमध्येअनंतस्थापयेदिति // यथावर्ण For Private and Personal Use Only
SR No.020640
Book TitleSanskar Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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