________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होतासत्सिबर्हिषि // 1 // अस्मिनजो० // दृहन्नेत्रोथर्ववेदोनुष्टुभोरुद्रदेवतः // वै| खानसकुलोत्पन्नोऋत्विक्त्वं• // 1 // ॐ शन्नौदेवीरभिष्टंयुऽआपोभवंतुपीतये // शं व्योरभिवंतुन // 1. // अस्मिनजो वृणे॥ तोस्मि // भगवन्मूर्तिसर्वज्ञसर्वध शर्मभृतांवर // विततेममयज्ञेस्मिञ्जपार्थेत्वामहंणे // 1 // अस्मिन्रजो रुद्रजपार्थे वामहं० // तृतोस्मि // ऋत्विजोगंधादिभिःसंपूजयेत्॥यजमानविजःपरस्परंयज्ञ कंकणंबधीयुः // ॐ व्रते दीक्षामप्निोतिदीक्षांप्नोतिदक्षिणाम् // दक्षिणाश्रृद्धामाप्नो तिश्रुद्धयांसत्याप्यते॥१॥ एतावद्रुपन्यज्ञस्ययद्देवैर्ब्रह्मणाकृतम्॥तदेतत्सर्वमाप्नोति हा है यज्ञेसौत्रामणीसुते // 1 // अथ प्रार्थना ब्राह्मणाःसंतुमेशस्तापापात्पांतुसमाहिताः॥ GAANADAAGARGAOAAA For Private and Personal Use Only