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कनकलताकी कथा ।
घूस लेना, उससे प्रीति रखना, चोरीका माल खरीदना, अथवा चोरीके मालमेंसे हिस्सा लेना इन बातोंको समझदार लोग बहुत जल्दी समझ लेते हैं-ऐसी बातोंका पता उन्हें शीघ्र लग जाता है। जब उमय घरमें रहेगा तो उससे हर तरहका सम्बन्ध रहेगा और उससे बड़े भारी अनर्थके होनेकी संभावना है। इसीलिए नीतिकारोंने कहा है कि कुलकी रक्षाके लिए कुलके उस आदमीको ही त्याग देना अच्छा है जिससे कुलमें कलंक लगता हो । अगर हम उमयको न निकालेंगे तो शहरके सब लोगोंसे विरोध होगा और बहुतोंके साथ विरोध अच्छा नहीं । क्योंकि चीटियाँ बड़े भारी सर्पको भी खा डालती हैं। ऐसा विचार कर समुद्रदत्तने उमयको घरसे निकाल दिया । उमयकी माको उसके निकाले जानेसे बड़ा दुःख हुआ । वह विचारने लगी-जिसका भाग्य अच्छा होता है उसे समुद्रके उस पारसे भी वस्तु प्राप्त हो जाती है और जिसका भाग्य बुरा है उसकी हथेली पर रखी हुई वस्तु भी चली जाती है।
उमय घरसे निकल कर एक व्यापारीके साथ कौशाम्बीमें अपनी बहिन जिनदत्ताके पास गया। लेकिन उमयकी बदनामी सब जगह फैल चुकी थी। इसलिए उसकी बहिनने भी उसे अपने घरमें न घुसने दिया । उत्तम विद्या, अ. नोखी बात, बदनामी, कस्तूरीकी गंध, आदि बातें पानीमें डाली हुई तेलकी बूंदकी तरह सब जगह फैल जाती हैं।
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