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|| श्रीवीतरागाय नमः ॥
प्रातः स्मरणीय परमपूज्य सर्व गुणालंकृत पंडितप्रवर श्री माननीय न्यायाचार्य पं. गणेशप्रसाद जी वर्णी के चरण कमलों में सादर समर्पित
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श्रद्धाञ्जलि
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गुरुवर्य ! इस अपार संसाररूपी जलनिधि में, क्रोधमानादिक कषायरूपी बलवती तरंगें, मोहरूपी मगरमच्छादिक जलचर एवं मिथ्यात्व कुदेवादिक रूपी बडवानल हैं, जिसमें से प्राणियों को तारने वाली दर्शनरूपी नौका के पतवार ! इस पंच परावर्तन संसाररूपी महागहन अंधकारमय अटवी में भटकने वाले प्राणियों को ज्ञानरूपी सूर्य ! चतुर्गति भ्रमणरूपी दुःखदावानल को चारित्ररूपी महामेघ ! कल्याणमंदिर की शांतिमय शिखर ! वर्तमान दुःखमय संसार
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