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के सर्वोपरि भावज्ञानी और निष्कारण जगत् के बंधु ! ऐसे आपके मेरुसदृश उत्तुंगगुणसंपन्न चरणकमलों को
संसार दुःख से भयभीत, श्रेयस्पद का इच्छुक, ह्रस्व अवगाहना का धारक, बालक स्पर्शकर पवित्र होना चाहता है । सो कठिन है। अतः दरसे ही भक्ति पूर्वक श्रद्धांजलि समर्पित करता है।
आशा है आप इस सेवक को चरणों की शरण में लेकर कृपादृष्टि रखकर कृतार्थ करेंगे।
"आपको मेरे सदृश हैं अनेक" "आप तो मेरे लिये हैं सुएक"
आपके चरण कमलों का भ्रमरमिती-ज्येष्ठ शुक्ला ) सि०कस्तरचंद नायक, पंचमी ।
जवाहरगंज, श्री. वीर. नि० सं० २४६४ )
जबलपूर ।
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