________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ४४ ) लिखने की मनोवृत्ति की चेष्टा कीजिये । मैं आपकी प्रशंसा नहीं करता, किन्तु इस समय ऐसा भाव जैसा कि आपका है प्रशस्त है। ज्येष्ठ वदी १ से फा० सु. ५ तक मौन का नियम कर लिया है एक दिन में १ घन्टा शास्त्र में बोलूंगा।
पत्र मिल गया- पत्र न देने का अपराध क्षमा करना
गणेशप्रसाद वर्णी ।
For Private and Personal Use Only