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गुलचाना
गैनी
गुलचाना- क्रि० सं० [हिं० गुलचा=गाल] धीरे पहनने का एक भूषरग, २. ग्वाला जाति की से प्रेम पूर्वक गाल पर मारना ।
स्त्री, ग्वालिन । उदा० १. जोरि अंग अंग सों लचाइ गुलचाइ उदा० १. रचित महावर सों कंज से चरन मंजु,
भाल, दीनी लाल बंदी बोरि खैचि कै गूजरीमति अजौं काननि जगी रहै। अबीर की। _ -देव
---देव गुलदार-वि० [फा० गुल ।-दार (प्रत्य)] फूल- २. गूजरी ऊजरे जोबन को कछु मोल कही दधि दार, वेलबूटे वाला।
को तब देहीं।
--देव उदा० गंज गलीमन के गिलमैं गुलदार गलीचन | गढ़गेह- संज्ञा; पु० [सं० गूढ़+ हिं० गेह] गुप्त की छवि छावत ।
- चन्द्रशेखर
स्थान । यज्ञगृह, यज्ञशाला । गुल -संज्ञा, पु० [देश॰] एक प्रकार का मिष्ठान्
उदा० प्रौढ़ रूढ़ि को समूढ़ गढ़ गेह में गयो । न, गुलकंद
शुक्र मंत्र शोधि शोधि होम को जहीं भयो। उदा० तकते सब सेब सुमुकुता को गुलसंकरिया
--केशव -- चतुराई की।
-- बोधा गेरगेर---अव्य० [हिं० गैल] चारों तरफ । गुलिक - संज्ञा, स्त्री० [हिं० गुरिया] गोला उदा० राधे राधे टेर टेर पीरो पट फेर फेर । रत्न ।
हेर हेर हरि डोले गेर गेर बन में। उदा० भेद न विचारयो गुजमाल औ गुलीक मालै
" ठाकूर नीली एकेपटी अरु मीली एकलाई में । गेरना-क्रि० सं० [अ०] १. गिराना, डालना.
-दास २. रोकना, घेरना, छेकना । गुलुक-संज्ञा, पु० [सं० गुल्फ] ऍड़ी के ऊपर की उदा० १. गोरी गुलाब के फूलन को गजरा लै गोठ ।
गुपाल की गैल में गेरो।। उदा० कीरति दुलारी सुकुमारी प्रान प्यारी भारी
-पद्माकर जैसे लसै सुन्दर गुलुफ पग तेरे हैं ।
२. तुम हौ लाल ग्वाल ब्रज केरे गेरत वहतक -पजनेस गायें ।
-बक्सी हंसराज गलेला-संज्ञा, पु० [फा० गुलूला] मिट्टी का
| गेह साखी-संज्ञा, पु० [सं० गृह शाखी] छोटा सा गोला जो गुलेल में फेंका जाता है। गृह का पेड़, गृहपति)। उदा० सोहत गुलेला से बलूला सुरसरि जू के, उदा० रानी बन लता गेह सारवी सों भिरति है। लोल हैं कलोल ते गिलोल से लसत हैं।
-दूलह -सेनापति | गन - संज्ञा, स्त्री० [सं० गमन] १. गमन, चाल, गुवार संज्ञा, पु० [अ० गुबार] १. धूल, गर्द, । गति, २. गैल, मार्ग, ३. दिन, ४. गगन । २. मन में दबाया हुआ क्रोध ।
उदा० १. माथै किरीट, छरी कर लाल है, सालस उदा० १. जैसे मँझधार नाव अॉधी कौ गवार
पायौ गयन्द की गैननि । पाएँ, बार प्राय सकत न पार जाय सके
-कुमारमणि -ग्वाल
सोभा सुख दैनी पॉव धारि गजगैनी। गुसुलखाना - संज्ञा, पु० [फा०] १. वह स्थान इत देखि मृगनैनी मीत लाय उर राखियो । जहाँ बादशाह का खास दरबार लगता है। २.
- कुलपति मिश्र स्नानागार ।
२. ऐसे रिझवार को गिराइ गई गैन ही। उदा. अरे तें गुसुलखाने बीच ऐसे उमराय लै
- पालम चले मनाय महाराज सिवराज को।
३. तारायनि ससि रैन प्रति, सूर होंहि ससि
- भूषण गैन । तदपि अँधेरो है सखी। पीऊ न देखै गूज संज्ञा, स्त्री० [देश॰] लपेट ।
गैन ।
-रहीम उदा० अरु जौ निलजे ह्व मिलैं तो मिलौ मन तें गैनी संज्ञा, स्त्री० [सं० गमन] मार्ग, रास्ता।
गस-गूज न खोलियरी। - -घनानन्द उदा० गोपिन के दुग तारनि की यह रासि किंधौं गूजरी संज्ञा, स्त्री० [सं० गुजरी] १. पॉव में
हरि हेरनि गैनी ।
--घनानन्द
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