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-वाल
गजबेलि ( ५६ )
गदनाद ऐरै मेरे पाप जिय जारि लै कछ्रक ।
मद ही के प्राब गड़काब होत गिरि है । दिन गजब गुजारि ले चलाक चोपि चारा मैं
-भूषण ___ --नन्दराम गड़ारे---वि० [हिं० गड़ारी] मंडलाकार गोला, ३. बेदरद बेपरद गजब गुनाहिन के ।
- घेरा, वृत्त । गंगा को गरद कीन्हे गरद गुनाह सब पदमा- उदा० 'दास' रसीली की ठोढी छबीली की लीली कर ।
के बिंदु पै जाइये वारे । मित्त की डीठि गजबेलि-संज्ञा, स्त्री० [सं०] एक प्रकार का
गड़ी किधौं चित्त को चोर गिर्यो छबिताल लोहा जो फौलाद से कुछ मुलायम होता है ।
गड़ारे।
-दास उदा० पाउँ पेलि पोलाद सकेलि रसकेलि किधीं गण-संज्ञा, पु० [सं०] १. देवता, २. शिव के नाग बेलि रसकेलि बस गजबेलि सी।
पारिषद, ३. दूत; सेवक । -देव
उदा० सेनापति बुधजन मंगल गुरु गण धर्मराज गजा-संज्ञा, पु० [फा०] नगाड़ा बजाने का
मन बुद्धि घनी।
-केशव
गतकारी-वि० [अनु० गद+कारी (प्रत्य)] उदा० सुर दु'दुभि सीस गजा, सर राम को रावन । मुलायम, कोमल । के सिर साथहि लाग्यो ।
-केशव उदा० गुरु नितम्ब उंगरी गतकारी पिंडरी गुल्फ गजाधिप-संज्ञा, पू० [सं०] ऐरावत, इन्द्र का
सुढारु ।
-बोधा एक हाथी जिसका रंग श्वेत माना गया है। गती वि० [देश॰] १. अधिक, अतिशय, २. उदा० ग्वाल कवि कहति गिरासी, गुनसत्व सी है, ठीक। - गंगा सी, गजाधिप सी, ज्ञान सी गहारीये । उदा० बाग गुन गती कौ, सुदाग रिपु रती की है,
भाग छत्रपती की, सुहाग बसुमती की। गजाना--क्रि० सं० [हिं० गाँजना, फा०, गंज]
-सोमनाथ इकट्ठा करना, संचित करना ।
गत्थ-संज्ञा, पु० [सं० ग्रंथ] १. समूह, झुड २. उदा० अवनि प्रकास भूरि कागद गजाइ लै, कलम . पूजी । कुस मेरु सिर बैठक बनावही ।
उदा० दंड तें प्रचंड होत नहँ खण्ड खण्ड घोर -दास
कसत कोदण्ड जोर दोर दण्ड गत्थ के। गज्जर--संज्ञा, पु० [हिं० गजर] सबेरे बजने
-चन्द्रशेखर वाला घंटा ।
गथी-वि० [सं० संग्रथन] संग्रथित, जुड़ी हुई, उदा० जौ लौ हिय बाल को लगायबो चहत ती परस्पर गुथी हुई। लौ गजब गँवार गैर गज्जर बजायो हाय । उदा० कहें अति तरजति गरजति मन्द कहें कहै
-लालजी
रघुनाथ कहूँ मधुरता गथी की। गटकीली-वि० [हिं० गटक] दबाने वाली, हड़प
-रघुनाथ लेने वाली।
गद-संज्ञा, पु० [सं०] रोग, रुज । उदा० चटकीली पटकीली गटकीली बतियन, हट- उदा० गोपी गोप धेनु कन, पायन की रेनु कन, कीली होरी कत पारति विपति है।
ओषधि विषम, जम त्रास, महागद को। –बेनी प्रवीन
-देव गटी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० गाँठ] १. गाँठ, ग्रंथि गदकारी-वि० [देश॰] मांसल, मुलायम पौर २. समूह ।
दब जाने वाला। उदा० पीत पहिराय पट बाँधि सिर सों पटी उदा० गोरी गदकारी पर हँसतं कपोलन गाड़। बोरि अनुराग अरु जोरि बहुधा गटी ।
-बिहारी -केशव गवना-क्रि० सं० [सं० गदन] कहना । गड़काव-वि० [फा० ग़र्क+पाब] : पानी में उदा० मदै उनमाद, गदै गदनाद, बदै रसबाद ददै डूबा हुआ।
मुख मंचल ।
-देव उदा० जिनकी गरज सुने दिग्गज बे-ाब होत, ! गवनाद-संज्ञा, पु० [सं० गद्गद+बाद] गद्गद्
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