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कंक-संज्ञा, पु० [सं०] सफेद चील, कांक । कटियाना--क्रि० अ० [सं० कंटक+ हिं० अांना] उदा० काक कंक बालक कोलाहल करत है।
१.अंकूर निकलना, अंकुए फोड़ना। २. कंट
-अज्ञात । कित होना, काँटे निकलना, रोमांचित होना। कंकाली-संज्ञा, स्त्री० [सं० कंकाल] प्रेतिनी।। उदा० १. घूमैं घटा छटा छूटती हैं उलहे द्रुम उदा० कर गहि कपाल पीवै रुधिर. कंकाली
बेलिन पत्र नये सो हरी हरी भूमि मैं कौतुक करे।
-वन्द्रशेखर
इन्द्र बधू कॅटिमाइबे को जनु बीज बये । कंचन बान-संज्ञा, पु० [सं० कांचन-स्वणं,
. -ठाकुर पीला+वर्ण=रंग] स्वर्ण के रंग का, पीत
२. मनमोहन-छबि पर कटी, कहै कँट्यानी रंग वाला, गिरगिट, छिपकली की जाति का
देह ।
-बिहारी एक जंतु ।
ककुरना-क्रि० प्र० [देश॰] सिकुड़ना, संकुचित उदा० जो नूग दान विधान करै, सू परै वह कूप होना । में कंचन बानै ।
-सूरति मिश्र उदा. कोढ़िनि सी ककुरे कर कंजनि केसव सेत कंचनी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० कंचन ] वेश्या,
सबै तन तातो ।
-केशव वाराङ्गना ।
ककोवर-संज्ञा, पु. [सं. काकोदर] सर्प, साँप । उदा० बंचनी विरागह की. प्रति परपंचनी सी.
उदा० प्राइ गये हरि ज हर पास कोपीन ककोदर कंचनी सी आज मेघमाला बनि पाई है।
को कर लीनी ।
-तोष -वाल | ककोरा-संज्ञा, पु० [देश॰] ककोड़ा, खेखसा, कंटकारि-संज्ञा, स्त्री० [सं० कंटकारी ] भट
परवल के प्राकार की एक तरकारी । कटैया नामक वृक्ष, जिसकी पत्तियों में दोनों
| उदा. जोरि जोरि जंघन उदर पर धरि धरि, तरफ काँटे होते हैं ।
सिकुरि सिकुरि नर होत हैं ककोरा से ।
-वाल उदा० हितै अहित किय हाकति, एकहि साट । कंटकारि की पतिया, दुहुँ दिसि काट ।
कक्षासिखा-संज्ञा, पु० [सं० काकपक्ष] काकपक्ष -बेनी प्रवीन
केशों की पाटी। कंद-संज्ञा, पु० [सं० कंदुक ] १. कंदुक, गेंद
उदा० गजरद, मुख चुकरैंड के, कक्षासिखा बखानि ।
-केशव २. बादल । उदा० १. औचक ही उचकौ कुच कंद सो।
कगायोकरमा-क्रि० प्र० [अनु॰].कांव-कांव करना।
उदा० देह करें करठा करे जो लीन्हों चाहति है, कला-संज्ञा, पु० [हिं० कंधा+एला] साड़ी
कागु मई कोइल कगायो करे हम सों। का वह भाग जो स्त्रियों के कंधे पर रहता है।
-यालम उदा० टूरतहार बारनहि बांधे। उधरो शीश
बचपच्ची-संज्ञा, पु० [हिं० कचपच] चमकदार कंदेला काँधे ।
- बोधा
बंदे या . तारे जो शृंगार करते समय कंपू--संज्ञा, पु० [अं. कैंप] पड़ाव, डेरा ।
कपोल-मण्डल आदि में लगाए जाते हैं। उदा० कंपू बन बाग के कदंब कपतान खड़े, । उदा. कंचन की कचपची चरिन की चमकनि सूबेदार साहब समीर सरसायो है।
छकनि की चाहनि चहक चित रही है। -पद्माकर ।
-गंग
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