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हौव
श्रीन फिरी बाबरी ह्व बूझि सो कहौ धौं कैसे | २. धैर्य । होसोंगी।
-रघुनाथ | उदा० चुरेल ह्व लागी अजौं लगि लाज, सुकौलगि हौद-संज्ञा, पु० [अ० हौज ] हौज, तालाब ।
बाँधे हिये मह हयाई ।
-देव उदा० कहर को क्रोध किधौं कालिका को कोलाहल हयाऊ-संज्ञा, पु० [हिं० हिय-हियाव ] हलाहल हौद लहरात लबालब को ।
साहस, धैर्य । -पद्माकर
उदा०देवज सराहिये हमारी न्याउ हयाक करि हयाई-संज्ञा, पु० [हिं० हियाब १.साहस, हिम्मत | नाहित पहित चेत करतो जूचीततो।-देव
श
शंबर--संज्ञा, पु० [सं०] १. एक प्रकार का मत्स्य | उदा० मानो सनक्षत्र शिशुमार चक्र कुंडली में संकर २. एक-राक्षस जिसे काम देव ने मारा था ।
षन अनल मभूक महराति है। --पजनेश उदा ० १. विषमय यह सब सुख को धाम । शम्बर | शुभोदर-- वि० [ शुमोदर ] भाग्य शाली, रूप बढ़ावै काम ।
-केशव उदा० शुभतन मज्जन करि स्नान दान करि पूजे शत्रुहंता-संज्ञा, पु० [सं०] शत्रुघ्न ।
पूरण देव । मिलि मित्र सहोदर बंधु शुमोदर उदा० बिदा ह चले राम पै शत्रुहंता । चले साथ
कीन्हे मोजन भेव ।
-केशव ___ हाथी रथी युद्धरंता ।
--केशव
श्रोन -संज्ञा, [पु० स० शोण] रक्त, शोणित खून शिशुमारचक्र--संज्ञा, पु० [सं०] सौर जगत, ग्रहों
उदा० कान्ह बली तनस्रोन की छछलसे प्रति, सहित सूर्य ।
जग्योपवीत सों मेलि ज्यों।
-पालम
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