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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra मोदधि ( १६२ तिन कार्जे कर्मन करौ मेटि फलन को मोत ॥ - जसवन्त सिंह मोदधि-- संज्ञा, पु० [सं० महोदधि ] महोदधि, महासागर | उदा० गंग कहै ऐसे गज बकसत घरी घरी, जैसे गज मोदधि मथेई पाइयत हैं गंग मोना- क्रि० स० [हिं० मोयन ] १. तल्लीन डुबाना, मोहित करना, www.kobatirth.org करना, पागना, २. भिगोना । उदा० कुटिल कुराही कूर कलही कलंकी कलिकाल की कथान मे रहे जे मति मोइ कै । - पद्माकर मोसन - सं० पु० [फा० मुसिन] चतुर, अनुभवी ता पीछे सवार सूर केसव सब मोसन । — केसवदास त्यागना, मौकना — क्रि० सं ० छोड़ना । उदा० बीर रघुनन्दन को [सं० मुक्त] मौको न सीत लंक सहित पयोधि पार हुकुम नाँती, ले धरौं । - सोमनाथ यचा - संज्ञा, स्त्री० [फा० जच्चः ] प्रसूता स्त्री, वह स्त्री जिसे हाल में बच्चा पैदा हुआ हो । उदा० बंचति न काहू लचि रंच तिरछाइ डीठि संचति सुजसु यचा संचति के सोहरे । - देव यरक्की - संज्ञा, पु० [फा० एराक़ी ] श्ररब देश का घोड़ा, ताजी । उदा० घूंघट यरक्की तरुनाइयो थिरक्की पाइ रूप की तरक्की सब सौतिन करक्की है । यानो - वि० [सं० ज्ञान] ज्ञानवान, ज्ञानी । तोष > येपै मौज-संज्ञा, स्त्री० [अ०] पुरस्कार, बकशीश, इनाम, २. तरंग, लहर, ३. प्रानन्द । उदा० १ रहति न रन जैसाह मुख लखि लाखन की फौज । जाँचि निराखर हू चलें ले लाखन की मौज । बिहारी भूषन मिच्छुक मोरन को प्रति जोजहु तें बढ़ि मौजनि सार्ज । -- भूषण Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -प्रालम मौड़ी - - संज्ञा, स्त्री० [देश० ] लड़की । उदा० कान्ह सों पिछौड़ी है कि कान्ह की कनौडी है कि, मौड़ी है जु डरपी के छल प्रति छाई है । मोरना - क्रि० सं० [हिं० मौर + फूलना, बौरना । उदा० एड़ी अनार सी मौरि रही, चंपे की डार नवाऊँ । मौरसिरी - संज्ञा, स्त्री० [स० १. मौलश्री नामक एक पुष्प, २ [वि० सिरमौर ] । उदा० मौरसिरी हो को पैन्हि के हार भई सब के शिर मौरसिरी तू । --देव न ( प्रत्य० ) ] बहियाँ दोउ - रसखानि मौलकी ] शिरोमणि य उदा० बाहर मूढ़ सु अंतस यानो । ताकहँ जीवन मुक्त बखानो । —केशव याल – संज्ञा, पु [ फा अयाल ] घोड़े, सिंह श्रादि के गरदन पर के बाल । उदा० यालनि जटित मंजु मुकता हैं । चन्द्रशेखर येपै - श्रव्य० [सं० एषा + अपि ] इस पर, तथापि, फिर भी । उदा० येपै कर मेरो तेरी बलया बिची में धँसि पूजि कुच शंभु प्रास पुजई घनेरी है । -ग्वाला For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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