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झिलम ( १०० )
मुलमुली झिलम-संज्ञा, स्त्री० [अनु॰] कवच, लोहे का । झुकारना - क्रि० [हिं० झोंका देना] झोंका देकर
बना एक झाँझरीदार पहनावा जो युद्ध में रक्षा के ढकेलना, हटाना। लिए पहना जाता था।
उदा० गीषम गहर गनीम को, गारब गरब उदा० धरे टोप कुंडी कसे कौच अंग झिलिम्मैं
झुकारि। घटाटोप पेटी अभंग । --चन्द्रशेखर
चढ़यो प्रबल पावस नृपति, झिलमिल-संज्ञा, स्त्री० [अनु॰] एक प्रकार का
दल बद्दल-बल धारि । बढ़िया बारीक और मुलायम वस्त्र ।
--..चन्द्रशेखर उदा० उचके उचोहैं कुच झचे झलकत झीनी । झुकाझुक-संज्ञा, पु० [अनु ] दिव्य सौन्दर्य, झिलमिली ओढ़नी किनारीदार चीर की । अनुपम सुन्दरता ।
-- देव उदा० देखि दृग द्वै ही सों न नेकह अपैये, झिली-संज्ञा पु० [सं० झिल्ली+न] झींगुर
इन ऐसे झुकाझुक में झपाक झखियाँ दई । नामक कीड़ा ।
-पद्माकर उदा० मननात गोलिन की भनक जन धूनि धुकार
झुकामुकी-संज्ञा, स्त्री० [बुं०] बहुत सुबह जब झिलीन की।
--पद्माकर काफी अँधेरा रहता है, तड़के । झिल्यो--वि० [हिं० झिलना] तन्मय, मोहित, उदा० जानि झुकाझुकी भेख छिपाय के गागरि लै मग्न ।
घर से निकरी ती।
-ठाकुर उदा० घन ऐसे तन माँझ बिज्जुल बसन माँझ, बग झुखान--संज्ञा, पु० [हिं० भूरा] सूखी वस्तुएँ । मोतीमाल माँझ चाह झिल्यो झिल जा। उदा० पजनेस झंझा झांझ झाँकत झपाक झप
--ठाकुर
झुराभूर झरनि फिरंगे झुखान में । झोंकने--वि० [देश॰] चिकने, कोमल, २.
- पजनेस बारीक । चीकने कपोल केस झीकने कुटिल कण्ठ झुरहुरी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० झुरझुरी] कॅपकंपी, मोतिन की माल मिले चम्पक चमेली के ।
कंपन । -देव
उदा० हार बार बसन निहारन न पावै, झीनी--वि० [सं० क्षीण] थोड़ा, कम २. बारीक मोर भौंरन चकोरन झगरिझरहरी लेति । महीन ३. पतली ।
-देव उदा० जी तौ इतो दुख पावति हौ तलफै दुग मीन झराझर-क्रि० वि० [अनु॰] झरझर शब्द मनो जल झीने ।
-केशव युक्त, २. लगातार, बराबर ३. वेग सहित । झीली-संज्ञा, स्त्री० [हिं० झड़ी] पानी की उदा० पजनेस झंझा झांझ झोकत झपाक झप झड़ी, झिल्ली, जल की बूदें।
झुराझूर झरनि झिरंगे झुरवान में । उदा० देखो तो झरोखन झकोरन झकोरै पौन
-पजनेस झापन मैं झालरि मैं झीली झहराति है।
झुरी--वि० [हिं० भूर] १ बेकार, निकम्मी, वक्र -नंदराम
कुटिल [प्रा० झूर] २. निष्प्रयोजन .. संतप्त । झुकना-क्रि० अ० [देश॰] क्रोध करना, नाराज उदा० १. कौन चतुराई करी जायक कन्हाई वहाँ, होना।
कूबरी लोगाई करी और तो मुरी लगी। उदा० पालम झुकति थोरी हँसे ते हँसति पुनि ।
-ग्वाल -आलम
२. झारै कर झुरी उर काम जुर झरी झुकति कृपान मैदान ज्यों उदोत मान ।
लेत लाज फुरहरी ।
-देव -गंग झुलझुला-वि० [हिं० झोल] ढीला, शिथिल, झुकराना-क्रि० अ० [हिं० झकोर] झकोर श्लथ । लेना, झूमना, २. घोड़ा का प्रागे के दोनों पैरों उदा० झूमे झलाबोर झुक भूना पै झमक भूम को उठाना।
झपक झपाक झप झाकिन मैं झलझले । उदा० रुक्यौ साँकरै कुंग-मग करतु झांझि झुक
-पजनेस रातु । मंद मंद मारुत-तुरंग खूदत प्रावतु | झुलमुली-संशा, स्त्री० [हिं० झाला] एक प्रकार जातु ।
-बिहारी का भूषण जो कानों में पहना जाता है, झाला,
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