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भर्मक
झला
चमक ।
उदा० भजि गई लाज गाजि उठ्यो रतिराज जब । उदा० बँध्यो मन गंधी की सुगंध झरपन सो। चुरियाँ सु बिछियाँ औ झबियाँ बजी
-देव झकझक ।
-तोष
२. झरपै झ4 कौंधे कढ़ तड़िता तड़पै मनो झमंक-संज्ञा, स्त्री० [अनु॰] प्रकाश, उजेला ।
लाल घटा में घिरी ।।
-पजनेस उदा० झूमे झलाबोर भूकभूना पै झमंक झूम झपक | झरहरी- वि० [हिं० झरहरा झंझरा वाला, झपाक झप झा कन मैं भूलभूले ।
छोटे छोटे छिद्र वाला ।
-पजनेस | उदा० झुकि झुकि झूमि भूमि झिलि झिलि झेलि झमक--संज्ञा, स्त्री० [अनु॰] प्रकाश, ज्योति,
झेलि झरहरी झापन पै झमकि झमकि उठे ।
-पद्माकर उदा० दीप की दमक, जीगनान की झमक छांडि झर्प-संज्ञा, स्त्री० [हिं० झरप] परदा, चिक, चपला चमक पीर सौं न अटकत हैं।
चिलमन ।
--सेनापति उदा० दिशा बारहों द्वारिया चूब खोल । हरी लाल झमकाना--क्रि० स० [हिं० झमक] पहनना,
पीरी डरी झर्प डोल ।।
-बोधा धारण करना २. चमकना ।
झरी--क्रि० स० [हिं० झर होना] खोना, चोरी उदा० पीतम पठई बेंदुली सो लिलार झमकाइ चला जाना, समाप्त होना । सौतिन मैं बैठी तिया कछु ऐठी सी जाइ । उदा० जकी ह थकी हौं जड़ताई पागि जागि पीर.
--रसलीन
धीर कैसें धरौं मन सो धन झरी गयौ।। झमा-संज्ञा, पु० [हिं० झाम] १. छल, धोखा
-घनानन्द २. झांवा, पत्थर या ईंट का टुकड़ा जिससे पैर झाना-क्रि० स० [हिं० झांवा मावे से पैर रगड़ा जाता है।
रगड़ना, या रगड़वाना २. काला पड़ जाना । उदा० १. कंदलै ध्याय के झमा खाय के शर लागे उदा० २. झझकत हियै गुलाब के फंवा झंवैयत मृग जैसे ।
- बोधा पाइ।
-बिहारी २. झीने करवारी सों झमाइ झमझमे झमा
२ झीने करवारी सों झमाइ झमझमे झमा झमकति झांई सी झमकि भूपरन की।
झमकति झांई सी झमकि भूपरनि की । --देव
-देव झमाकदार-वि० [हिं० झमाका+फा वार झल-संज्ञा, पु० [सं० ज्वल] ज्वाला, प्राग, (प्रत्य)] नखरे वाले, ठसक वाले ।
___आँच, दाह । उदा० चतुर चमाक सो झमाकदार झकि झाँके, उदा, मेरु के हलत महि हलत महीघ्र हालै महाचंचल चलाक, कोस कोक की कला के हैं।
नागहालाहल झल उगिलत हैं। -गंग
-ग्वाल झलकना-क्रि० अ० [हिं० झलक] चमकना, झमार-संज्ञा, पु. [?] वर्षा का जल ।
दील होना। उदा० भूमि झमार हि दै घनानंद राखत हाय उदा. नैन छलकौंहै बर बैन बलकीहै औ कपोल बिसासनि सूखे ।
-घनानन्द
फलकौंहै झलकौंहैं भये अंग है। -दास झरके-संज्ञा, पु० [हिं । झटका] झटका, चोट झलना-क्रि० अ० [हिं० झल्ल] बोलना, बकवाद धक्का ।
करना। उदा० अदले बदले भई बारहिबार, परे तरवारिन उदा० बीस बिसे बिष झिल्ली झलै तड़ितौ तनु के झरके।
-गंग ताड़ित कै तरपै री।
-दास झरनि-संज्ञा, स्त्री० [सं० झर झड़ियाँ, लगातार झला--संज्ञा, पु० [हिं झड़] हलकी वर्षा, दववृष्टि, पानी की झड़ी।
गरा २. समूह । उदा० पजनेस झंझा झांझ झोकत झपाक झप उदा० . चंडित मनोज कैसे झला भूमि भूमि अराभूर झरनि झिरै गे झरवान में ।
प्रावै।
ठाकुर - पजनेस
हेम के हिंडोरनि झलानि के भकोरे मैं । झरप--संज्ञा, स्त्री० [हिं० झपट] लपट, झपट,
. पद्माकर प्रवाह, झकोर २. तेजी से [क्रि. वि.] ।
२. झमकत पावै अँड झलनि झलान झप्यो १३
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