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ज्यान
झबिया
ज्यान-संज्ञा, पू० [अ० जियान] हानि, नुकसान | उदा० १. औरै भयो रुख तातै कैसे सखी ज्यारी क्षति, घाटा ।
होति, बिफल भये हैं बंद कळून बसाति उदा० उनको बहुरत प्रान हैं तुम्हें न तनको ज्यान
-सेनापति -दास २. प्रान प्यारी ज्यारी घनानंद गुननिकथा ज्यारी-संज्ञा, स्त्री० [हिं० जियारी] १. हृदय
रसनी रसीली निसि बासर करत गान । की दृढ़ता, साहस, जीवट, जिगरा २. जिलाने
-घनानन्द वाली।
अपना-क्रि० अ० [सं० भाप] १. उछलना, २. । उदा० कहै पद्माकर सु चंचल चितीनहूँ तें औझक छिपना ३. लज्जित होना, झेपना ४. बंद करना,
उझकि झझकीन में फसत है। ढकना [क्रि० सं०] ।
-पद्माकर उदा० १.चरइ सलिल, उच्छलइ भान्, जलनिधि झपक-संज्ञा, स्त्री० [सं० झंप] शीघ्रता, जल्दी। जल झंपिय ।
--सेनापति उदा० इभ से भिरत, चहुँघाई सों घिरत घन ३. ता दिन ते वृजनायिका सुन्दरि, रंपति,
पाबत झिरत झीने झरसों झपकि झपकि। झंपति कंपति प्यारी । -गंग
- देव ४. भयो सपेद बदन दृग झंपै। डोलत दंत झपना-क्रि० प्र० [सं० झंप] टूटना, एकबारगी गात सब कंपै।
-चन्द्रशेखर
गिरना। झाई-संज्ञा, स्त्री० [सं० छाया] १. प्रतिध्वनि
उदा० ठौर ठौर झूमत झपत भौंर झौंर मधु अंध । गूज २. परछाई, प्रतिबिम्ब ।
-बिहारी उदा० १. दीनी न दिखाई, छांह छोरध्यौ न छवाई झपने-संज्ञा, पु० [अनु० झप] पाने की क्रिया,
परयौ बोल की सी भाई जाइ लंका के | झपटना, प्राक्रमण करना। महल मैं।
-सेनापति उदा० कहे पद्माकर सु जैसे हैं रसीले अंग तैसी झांकना--क्रि० अ० [हिं० झंकना] १. रोना,
ही सुगंध की झकोरन के झपने । पछताना, व्याकुल होना २. खीझना, कुढ़ना ।
---पद्माकर उदा० १. देहौं दिखाई तौ पैहौं घनो दुख, झाँको झपाक--क्रि० वि० [सं० झंप, हिं० झप] जल्दी
बिना जल की झखियानि मैं । -देव से, शीघ्र । झखराज-संज्ञा, पु० [सं० झषराज] घड़ियाल, उदा० उझकि झपाक मुख फेर प्यारो-रुख और नक्र, मगर ।
हेरि हेरि हरषि हिमंचल पै अरिगो । उदा० कहैं नंदराम भारी भीतिन के भौंरन मैं भलि
--पजनेस भूलि भ्रम झखराजन भिरा करै ।।
देखि दुगद्व ही सों न नेकह प्रवैये इन -नदराम
ऐसे झुकाइक में झपाक झखियाँ दई । झझकाना---क्रि० सं० [हिं० झझक] डराना, भय
-पदमाकर उत्पन्न कराना ।
झपेटना-क्रि० प्र० [सं. झंप] दबाना अाक्रमण उदा० जज्यौ उझकि झाँपति बदन कति बिहँसि करना।
सतराय । तत्यौं गुलाब मुठी झठी झझका- उदा० किय बनबिहार इहिविधि स्यामघन त्रिभुवन वत पिय जाय ।
-बिहारी रूप झपेटैं।
-सोमनाथ झझकीन-संज्ञा, स्त्री० [हिं० झिझक] झिझक, झबिया--- संज्ञा, स्त्री० [हिं० झब्बा] कपड़ों और संकोच, हिचक ।
। गहनों में लगा हुया तारों का गुच्छा।
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