________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अह सिरिचंदणमुणि-विरइआ पाइअ-भासा-णिबद्धा-रयणवालकहा तत्थ कव्वकारगस्स परमेट्टि-पंचग-सइएवं
मंगलायरणं
आरिया-छंदाई विलसइ जत्थ अणंतं णाणाईणं चउक्कयं सहजं । तेसिं अरहंताणं कुणेमि सरणं सुभत्तीए ॥१॥ करिअ अट्टकम्माणं समूल-णासं सहाव-संलीणा । जम्मावसाण-रहिआ सिद्धा मे सिद्धिदा होतु ॥२॥ जेसिं महोवयारो वट्टइ सम्मत्त-नाण-दाणेहिं । तेसि आयरिआणं को ण कयण्णू थुई कुणइ ? ॥३॥
१ चतुष्ककम् २ स्मरणम् ।
For Private And Personal Use Only