________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विस्तृत विवेचन सहित 236 है, बल्कि और बढ़ता चला जाता है / अतः असाध्य रोग या और प्रकार के शारीरिक कष्ट के आने पर धैर्य धारण करना चाहिये / धैर्य धारण करने से आत्मबल की प्राप्ति होती है, जिससे आधा कष्ट ऐसे ही कम हो जाता है / जो व्यक्ति शारीरिक कष्ट के आने पर विचलित नहीं होता, पंचपरमेष्ठी के चरणों का ध्यान करता है, वह अपना कल्याण सहज में कर लेता है। दरिद्रता भी मनुष्य की परीक्षा का समय है / जो व्यक्ति दरिद्रता के आने पर घबड़ाते नहीं हैं, सन्तोष धारण करते हैं तथा कर्म की गति को समझ कर जिनेन्द्र प्रभु के चरणों का स्मरण करते हैं, वे अपना उद्धार अवश्य कर लेते हैं धन, विभूति, ऐश्वर्य आदि के द्वारा मनुष्य का उद्धार नहीं हो सकता है। ये भौतिक पदार्थ तो इस जीव के साथ अनादि काल से चले आ रहे हैं, इनसे इसका थोड़ा भी उपकार नहीं हुआ / बल्कि इनकी आसक्ति ने इस जीव को संसार में और ढकल दिया, जिससे इसे कर्मों की जंजीर को तोड़ने में बिलम्ब हो रहा है / जो व्यक्ति दरिद्रता, शारीरिक कष्ट या वैभव के प्राप्त हो जाने पर इन सब चीजों को अस्थिर समझ कर आत्म चिन्तन में दृढ़ हो जाते हैं, वे मुनि के तुल्य हैं। संसार की ओर आकृष्ट करनेवाले पदार्थ उन्हें कभी भी नहीं लुभा सकते हैं, उनके मन मोहक रूप के रहस्य को For Private And Personal Use Only