________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विस्तृत विवेचन सहित 231 दान, स्वाध्याय और तप इन गृहस्थ के दैनिक कर्तव्यों को प्रतिदिन अवश्य करना चाहिये। इनके किये बिना गृहस्थ का जीवन निरर्थक ही रहता है। ___ गृहस्थ पूजा, दान आदि के द्वारा इस लोक में भी सुख भोगता है। उसके चरणों में ऐहिक विभूतियाँ पड़ी रहती हैं। संसार की ऐसी कोई सम्पत्ति नहीं, जो उसे प्राप्त न हो, वह संसार का शिरोमणि होकर रहता है। क्योंकि शुद्धात्माओं की प्रेरणा पाकर उन्हीं के समान साधक आत्मविकास करने के लिये अग्रसर होता है / जैनधर्म की उपासना साधना-मय है, दीनता भरी याचना या खुशामद नहीं है / शुद्धात्मानुभूति के गौरव से ओत-प्रोत है। दीनता, क्षुद्रता, स्वार्थपरता, को जैन-पूजा में स्थान नहीं / भगवत् भक्ति भावों को विशुद्ध करती है, आत्मिक शक्तियों का विकास करती हैं, कषायें मन्द होती हैं जिससे पुण्यानुबन्ध होने के कारण सभी प्रकार की सम्पत्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं / जिनेन्द्र पूजन के समान ही गृहस्थ को दान, तप और गुरुभक्ति भी करनी चाहिये; क्योंकि इन कार्यों से भी महान् पुण्य का लाभ होता है / आत्मा में विशुद्धि श्राती है और कर्म क्षय करने की शक्ति उत्पन्न होती है / अतएव प्रत्येक व्यक्ति को जिनेन्द्र पूजन, गुरुभक्ति और पात्रदान प्रति दिन करना आवश्यक है। For Private And Personal Use Only