________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विस्तृत विवेचन सहित 205 पैसा नहीं। शरीर मेरा रोगी है, जिससे व्रत, उपवास आदि नहीं किये जा सकते हैं, अतः मुझसे इस अवस्था में कुछ नहीं किया जा सकता है; ऐसी बातें अनर्गल हैं। प्रत्येक व्यक्ति में सब कुछ करने की शक्ति है, आत्मा में परमात्मा बनने की योग्यता है तथा दृढ़ संकल्प और सद् विचार द्वारा मनुष्य बहुत कुछ कर सकता है। धन कोई पदार्थ नहीं है इससे न धर्म-कर्म होता है और न आत्मोद्धार। जिन महापुरुषों ने प्रात्मकल्याण किया है, अपने को शुद्ध बनाया है, उनके पास धन था या नहीं ? पर इतना सुनिश्चित है कि दृढ़ संकल्प और सदविचार उनके पास अवश्य थे। अपने स्वरूप को पहचानने की क्षमता उनमें थी, अतः अपने को समझ कर ही वे बड़े हुए थे। उनका अपना निजी -विवेक जाग्रत हो गया था / जो पापोदय से कष्ट उठा रहे हैं, यदि वे दिनभर पैसा पैदा करने के फेर को छोड़ दें तो दमामयी धर्म का प्रतिभास उन्हें हुए विना नहीं रह सकता है। मनुष्य का स्वभाव है कि (जैसे बनता है वैसे )जबतक दम रहता है, काम करने की शक्ति रहती है, थक कर नहीं बैठ जाता, धन कमाने की धुन में मस्त रहता है। वह न्याय अन्याय कुछ नहीं समझता। आज भौतिकता इतनी अधिक बढ़ गयी है कि सबेरे से लेकर शाम तक श्रम करने के उपरान्त For Private And Personal Use Only