________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 180 रत्नाकर शतक लगता है। वास्तव में इस जीव ने अनादिकाल से अबतक अनन्तानन्त बाप बनाये हैं, अतः इसके बाप का वस्तुतः क्या ठीक है / यदि एक बाप हो तो उसका निश्चय किया जाय, जहाँ अनेक नहीं, बल्कि अगणित अनन्तानन्त बाप हैं, उनका क्या निश्चय किया जा सकता है ? इसी प्रकार * मूर्ख, शूकर, गधा आदि गालियों को सुनकर यह दुःख करता है / यदि विचार कर देखा जाय तो ये गालियाँ यथार्थ हैं। अब तक यह जीव चौरासी लाख योनियों में अनेक बार जन्म ले चुका है। कभी यह शकर हुआ है, तो कभी गधा, घोड़ा, बैल, उल्लू , कौश्रा, कबूतर, चील, सिंह, रीक्ष आदि नाना प्रकार के पशु-पक्षियों में जन्मा है / ___ यदि कोई इसे गधा कह देता है, तो उस बेचारे का अपराध क्या है, क्या यह जीव गधा नहीं बना ? जब इसे गया अनेक बार बनना पड़ा तो फिर गधा शब्द सुनकर बुरा मानने की क्या आवश्यकता ! इसने अनेक भवों में बुरे से बुरे शरीर धारण किये, खराब से खराब भोजन किया। यहाँ तक कि मल-मूत्र जैसे अभक्ष्य पदार्थों को भी इसने अनेक बार ग्रहण किया होगा। अतएव किसीकी गाली सुनकर बुरा मानना, उससे लड़ना, उलटकर गालियाँ देना, मार-पीट करना बड़ा अपराध है / जो सच कह For Private And Personal Use Only