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विस्तृत विवेचन सहित
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दरिद्र हो गया है। जिसकी प्रतिष्ठा समाज में थी, जिसका समाज सब प्रकार से आदर करता था, जिसके बिना पंचायत का काम नही होता था, अब वही धन न रहने से सब की दृष्टि में गिर गया है, जो पहले उसके पीछे रहते थे, वे ही अब उससे घृणा करते है, उसकी कट आलोचना करते हैं और उसे सबसे अभागा समझते हैं।
इस प्रकार नित्य जीवन, मरण, दरिद्रता, वृद्धावस्था, अपमान, घृणा, स्वार्थ, अहंकार आदि की लीला को देखकर भी मनुष्य को विरक्ति नहीं होती, इससे बड़ा और क्या आश्चर्य हो सकता है ? ___दूसरे को बूढ़ा हम देखते हैं, पर अपने सदा युवा बने रहने की अभिलाषा करते हैं, दूसरों को मरते देखते हैं, पर अपने सदा जीवित रहने की भावना करते हैं, दूसरों को आजीविका से च्युत होते देखते हैं, पर अपने सदा आजीविका प्राप्त होते रहने की अगिलाषा करते हैं। यह हमारी कितनी बड़ी भूल है। यदि प्रत्येक व्यक्ति इस भून को समझ जाय तो फिर उसे कल्याण करते देरी न हो। ___ कितने आश्चर्य की बात है कि दूसरों पर विपत्ति पायी हुई देखकर भी हम अपने को सदा सुखी रहने की बात सोचते हैं। मोह मदिरा के कारण प्रत्येक जीव मतवाला हो रहा है, अपने को
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