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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५२२ रणपिंगळ, विषमवृत्त. पदमाह तृतीय स स न न ग छे, चोथे चरणे गण त ज न स छे. ( १. नजम जल ग=१४ कुररीरुता. ९७९ १८६ पिसंगी. .)२. भर न भ ग=१३ लवलीलता. ८८० ) ३. भज भज लग=१४ कारविणी. .९७८ (४. ज ज भ ज ल ग=१४ काकिणिका. ९७७ प्रथम पदे न जा भ ज ल गा रजो, भा र न भा ग आप द्वितीये करजो; भा ज भ ज ला तृतीय ग पदे रचनो, पिसंगी चतुर्थ ना ज भ ज ला ग सनो. ( १. सन ज भ ग ल=१४ उपकारिका.अंक ९९३ १८७ युतक.) २. तभ र सल = १३ अट्टासिनी. अंक ८९९ ) ३. भ ज ज भ ग ल=१४ हेममिहिका. अंक ९९४ (४. न स स ज ज =१५ मितसकिथ अंक १,०५६ प्रथमे सदा स ज जा भ गा ल रचाय, बीजे पदे त भ रा स ला ठिक थाय; छे गण तृतीय पदे भ जा ज भ गाल, युतक पद तुर्य न सा स जाज निहाल. (१. न न म य य १५ मालिनी.अंक १,०१० १२. भसतत गग=१४ पुष्पशकटिका. ९२५ १८८ अनसूय.) ) ३. स स त त गग=१४ सरमासरणी. ९२४ १४. त य र र ग=१३ भाजनशीला. ८०५ प्रथम चरण ना ना मा य या आप कोजे, भा स त त ग गा आणो तमे पाद बीजे; अनसूय विषे सा-सा त ता गा ग त्रीजे, चोथे त य रा रा गा पदे आप दीजे. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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