SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 702
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संकीर्ण. वर्णमेळ. (१. न भ ज र =१२ प्रियंवद. अंक ७३३ १८३ शरक्षामा. २. स भज र स=१५ रूप १३,६८४ । ३. भ न सजग%=१३ रूप २,८१५ ( ४. मन स जम=१५ रूप. २,८०९ प्रथम पाद न भ जा र जाणजो,. गण बीजे स भ ज रा स पादमांह सजो भा न स ज ग पद तृतीयके हजो, चोथे मा न स ज म करी करो शरक्षामा. (१. स स ज ग ग=११. विमला. अंक ५६७' १.८४ भौजंग.) २. स न ज र य=१५ रूप ५,५०० ) ३. न न भ स ल ग=१४ रूप ६,०८० ( ४. म न ज न र ग =१६ रूप. १२,१५३ . प्रथमे स स जा ग गा धरो जी, स न जा र य चरणे द्वितीयके करों जी; तृतीय चरणमां न न भ स ला ग छे, भौजंगे म न ज न रा ग चरण थाय चोथे. वागवल्लभमां आवं माप छे, पण तेमां जे उदाहरण छे तेमां त्रीजो जगण जोइये तेने बदले नगण आवेछे. अने वळी एक अक्षर पण खूटेछे, जुवो चोधुं पद आ प्रमाणे छे: 'मो नो जो नर गण गुरुरपिच भौजंग' ( १. न न भ न ल ग-१४ प्रहरण कलिका.९८५ १८५ उपनयर २. भ स न न ग=१३ अर्द्धकुसुमिता. ८९० ) ३. स स न न ग=१३ वरिवसिता. ८८९ (४. त ज न स=१२ व्यायोगवती. ७७२. उपनय प्रथमे न न भ न ल ग छे, पादपर द्वितीय भ स न न ग छे; For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy