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प्रवेशक.
कवियो, पीयूष रुचि पीयूष महा भणे; प्रालेयांशु भपाता ने भपति, मृगांक. मास्, मृगधर मृगवि प्लु, मृगलांछन गणे; रजनीपति ने नाथ, रात्रिनाथ रात्रिमणि, रांजराज रोहिणीश, रोहिणीपति कहो; लक्ष्मीसहन ए विधु, शशधर शशभृत, शर्वरीकान्त शशांक, शशलांछन लहो. शशविन्दु, शशी थाय, शिवशेखर शीतगु, शीतांशु शीतमयुख, शीतमरिंची कहो; शीतभानु, शीतरुक् श्रीसहोदर, शुभ्रांशु, - शुचिरोची श्वेतधामा, श्वेतवाहन लहो; श्वेतरोची श्वेतवाजी, सित दीधिति सितांशु, खितरश्मि सुधाकर, सुधाधार गायछे : सुधाभृति सुधानिधि, सुधासूति ने सुधांग, सुधांशु ने सोम हरि, हरिणांक थायछे. हरिण कलंक एने हर चूडामणी वदे, हरशेखरनुं नाम, हिमकर छे हवे; . हिमद्युति हिमरश्मि, हिमश्रथ एक लेखी, क्षमाकर क्षमानाथ, यामिनीपति कवे; शशीनां आ नाम बधां, एक संख्या सूचक छ, तेम पृथीविना नाम एकमां गणायछे; माठे ज्यां प्रयोग जेवो योजवानो होय तेवो; कत्रि इच्छा अनुसार अंकमा योनायछे. ५
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