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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवेशक. १२ मुनि नव हर्य इभ दिसि आगयार बार पूर्य द्वीप षट् इन अहि • साध्य नाथ वसु भक्ति दश रवि शास्त्र अग आठ पंक्ति शिव द्वादश खंड खट वार अष्ट निधि दिशा हर भानु इति सात गज ग्रह आशा | भव दिग्गज नंद दिगशर्व आदित्य माखीनापग सरावर नाग अंक | दोष । पशुपति । भग | यागांग संख्या | अवतार स्थाणु रस सर्प द्वार रावणशिर करण |खरांशु ন্ত अश्व स्नान कुरुसेना | चुंबन जख लोक व्याघ्रस्तन कामदशा दर्शन तुरग सुख नाचा (देवगण) चक घोटक सिद्धि सुधाकुंड रूपक तरणि रिपु ऋषि योग कराग पर्वत मास अरि ताल | द्वंरद धान्य राशि तर्क पाताल याम . ऋक्ष अंग! | धातुः । प्रहर वेदांग | उपविष करि भवन कृतिकातारा चिरजि सात्विक संक्रान्ति आततायी | मातृ | भाव गुहबाहु भ्रमरपद राज्यांग धराधर भूपमंडळ द्विजकर्म | तांडव दिकपाल | छप्पयपद | नदी. शिवमूह 'अयनमारा अग्निजि- सिरांत . धात | ह्वा | गंध: गुहानन मद ब्रह्मकर्ण अंबुद For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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