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रणपिंगळ.
८४. (१३) महाचपलापथ्यागीति. पेहेला तथा वीजा दलमां चपला प्रमाणे नियम अने पथ्या प्रमाणे विरति. आवे. पथ्यातणी विरति तो, रचाय द्विदले नियमज घपलाना; पथ्याज गीति एतो, महाजचपला गणाय छे दाना! १०२
८५ (१४) महाचपला आदिविपुलागीति. पेहेला अने बीजा दलमा चपला प्रमाणे नियम अने पेहेला दलमा विपुला प्रमाणे यति. द्विदले महान चपलातणा, नियम ने यति विपुला आदि; गीति महान चपला, गणाय आदि विपुल बहु सादी. १०३
४६. (१५) महाचपला अन्तविपुला गीति. बन्ने दलमा नियम चपला प्रमाणे; बीजा दलमां विपुला प्रमाणे यति. द्विदल चपला नियम छे, महाज चपलाज अन्त मां; अन्त दलमां विपुलातणी यति आणजो ग आमां. १०४. .
८७ (१६) महाचपला उभयविपुला गीति.
बन्ने दलमां नियम चपला प्रमाणे अने यति विपुला' प्रमाणे. द्विदल चपला नियमन विपुला, विरति तो धरो उभय दलमां गीति महान चपलामहावियुला, बने खरी पलमां.. १०५
उपगीति.. ४८. उपगीति,गाहू, गाहो १२(४+४+४)+१५(४+४+ल+४+ग)=२७ नुं प्रत्येक दल.
आर्या उत्तर दल सम, बे दल जेमांह तो आवे; उपगीति गाहू रचवा, एवो नियम कवि समजावे. १०६ +. मागधी छंदःशतकमां आ नाम छे..
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