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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपगीतिना भेद मात्रामेळ. पूर्वार्द्धना छगण पैकी छेल्ला छठ्ठा गणनां चार रूप गणतां ४,२०,८०,४००, १६००, ६४०० एटलां रूप पूर्वार्द्धना छगणनां थाय, तेम तेटलांज उत्तरार्द्धनां थाय तेनो परस्पर गुणाकार करवाथी ४,०९,६०,००० रूप उपगीतिनां थायछे. ८९ (१) पथ्या उपगीति. आर्याना बीजा दल प्रमाणे बंने दलनुं माप आणवू, तथा पथ्या प्रमाणे (१२, १५) विरति आणवी. आर्या उत्तर दल सम, बे दल जेमां जरूर आवे; पथ्यानी यति जेमां, पथ्या उपगीति मन भावे. १०७ ९० (२) आदिविपुला उपगीति. बने दलनु माप उपगीति प्रमाणे पण प्रथम दलमा यति विपुला प्रमाणे, आदि दले यति विपुलाना, ने उपगीति नि'म जेमां; आदि विपुला नामे, उपगीति तो गणो एमां. १०८ ९१ (३) अन्तविपुला उपगी बने दलनुं माप उपगीति प्रमाणे अने बीजा दलनी यति विपुला प्रमाणे.. उपगीति नियम द्विदले, विपुला यति अन्त दल मांहे; अन्त वियुला उपगीति, तो आवीज छे जांहे. १०९. ९२ (४) उभयविपुला उपगीति.. बने दलनु माप उपगीति प्रमाणे अने यति विपुला प्रमाणे.. उभय दले यति विपुलानी, ने उपगीति नियमन छे. उभयविपुला उपगीति, एनुं नाम सरसज छे.. ११०. ९३ (५) मुखचपलापथ्या उपगीति. प्रथम दलमा चपला प्रमाणे नियम अने बने दलमा पथ्या प्रमाणे यति. पथ्यातणी यति द्विदल, मुखेज चपलातणों धारो; मुखचालापथ्या तो, उपगीतिमाह ठिक धारो. १११ For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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