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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळ. ४२ (अपर शिखा २८ल+१ग-३० मात्रा पेहेला दलमां. ३०ल+१ग-३२ मात्रा बीजा दलमां. १, ५, ९, १३, १७, २१, २५, २९ मात्राए ताल. . विशपर वसु कल लघु कर तु प्रथम दलनी चरम धवल कमला छे; विशफर दश लघु कल कुल कर शशी गुरु चरमनी उपर द्वितोय दल छे. आथी उलटुं ते खंना. अिन्ते गुरु (३० ल+ १ ग-३२ मात्रा पेहेला दलमां ४३ (अपरा)खंजा (शिखा); २८ ल+१ ग-३० मात्रा बीजा दलमा १,५, ९, १३, १७, २१, २५, २९ मात्राए ताल. प्रथम दल तु धर विशपर दश कल सकल कल तु लघु धर गुरु चरमे; द्वितीय दल सकल लघु कल किया बसु चरम उपर शशी गुरु ज रमे. ५८ * अन्ते खंजाथी उलटुं ते शिखा. ४४ अतिशिखा, गुणित. ३० ल+१गुस=१२मात्रानुं प्रत्येक दल. १, ५, ९, १३, १७. २१, २५, २९ मात्राए ताल. प्रथम द्वितीय दल सकल लघु कल तुं त्रीश कल पर शशी गुरु धर तु तिग्वा; प्रथम उपर पछी श्रुति श्रुति चडी कल टकर धरौ तु रच सरस अतिशिखा. ५९ ताल For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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