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राजविद्या |
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श्रीमत्परम पवित्र सोम पाठ २ राज्यकी स्थापना | महादेवी प्रश्न करती है - प्रत्येक व्यक्ति वा सर्वे व्यक्ती वा समस्त जातियों का धर्म क्या है । ईश्वर ने कहा- वर्म दृष्टी के साथ और शान्ति और प्रबन्ध के साथ हो वह आज्ञा अपने मालक की प्रेम के साथ मानने योग्य है अहार सुख दुःखादि ज्ञान के साथ वृक्ष वनस्पत्यादि अवर है और चरों मे मनुष्य पशू वे अहार सुख दुःख भग क्रोध निद्रा मोह मैथुन और प्रसूतेि ( बच्चे ) पालने आदि का तेज ज्ञान है और विचार मामान्य भाव से अप है परंतु मनुष्य मे विचारशक्ति अधिक ( जादा ) है जिससे ईश्वर ज्ञान भी हो जाता है वह सूक्ष्म रूप से तीन तरह का है- अवधि - मनपरे और केवल जिनसे परम पद की प्राप्ती होजाती है ॥ स्थूल ज्ञानमति और श्रुति का है जिससे विज्ञान (तर्क) की उत्साह हा जाती है और विज्ञान से
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