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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra काञ्चनकम् - पद्मकेसरम् काञ्चनकम् -- हरितालम् काञ्चनक्षीरी क्षीरिणी काञ्चनद्वंद्वम् ४३३ काञ्चनपुष्पकम्———आहुल्यम् काञ्चनपुष्पी --गणिकारी काञ्चनम् ४२३ काञ्चनम्--नागपुष्पम् काञ्चनम् - रत्नानि काञ्चनम् - सुवर्णम् काञ्चनः - चम्पकः काञ्चनारकः -- कोविदारः काञ्चनारः — कोविदारः काञ्चनिका गणिकारी काञ्चनी- रोचनी काञ्चनी सर्वक्षीरी कानी—मदुग्धा काञ्जिकम् २५० काञ्जिकम् ४३८ काञ्जिकः ४२७ काञ्जिका ४३३ कालिका – काञ्जिकम् काञ्जिका - जीवन्ती काञ्जिका पलाशी काडीरः ४२७ काण्डकटुकः काण्डीर: काण्डकण्ठः - अपामार्गः काण्डकम् वालुकम् काण्डकाण्डकः काशः काण्डकीलक:- लोध्रः काण्डगुण्डः -- गुण्डः काण्डपुङ्खा—शरपुङ्खा काण्डरी-काण्डीर: काण्डरुहा— कटुका काण्डशाखा – सौम्या काण्डसंधिः वंशाग्रस् काण्डहीन: --- लोध्रः काण्ड: आस्कन्धा काण्ड: -- किराततिक्तः www.kobatirth.org वर्णानुक्रमणिका । काण्डः - शरः काण्डिका - करटः काण्डीर: १४६ कण्डीर: ४२७, ४२९ काण्डेक्षुः इक्षुः | काण्डे क्षुः काशः काण:- काकः कथरा ३४३ कादम्बरी-कदम्बः कादम्बरी - सुरा | कादम्बर्यः -कदम्बः कादम्बः - प्रवाः कादम्बः - हंसः काद्रविकम् — अक्षम् काद्रवेयः सर्पः | काननम् ३२४ | कान्तपुष्पः - कोविदार: कान्तलकः – तृणिः कान्त लोहम् — लोहम् कान्तसंज्ञम्—वैक्रान्तम् कान्तम् कुङ्कुमम् कान्तम् — लोहम् कान्तः -चक्रवाकः कान्तः - तृणिः कान्त:-- -भती कान्तः- मानुषः | कान्तः - वर्षाः कान्तः -वसन्तः कान्ता - गृष्टिः कान्ता — ग्रैष्मी कान्ता—त्रिसंधिः कान्ता बृहती -भद्वैला कान्ता- कान्तायसम् — लोहम् कान्तायसाश्मः ४२७ कान्तारम् काननम् कान्तारः ४२५ कान्तारः --- इक्षुः कान्तारः - कोविदारः For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कान्ता रेणुका कान्ता—स्त्री कान्तिदा - बाकुची | कान्तिः४१६ कान्तिः —— गृष्टिः कापोतम् —अञ्जनम् | कामकान्ता --अतिमुक्तः कामखड्गदला -- केतकीद्वयम् | कामगा -- कोकिलः | कामजननी - बहुला कामदा—बहुला कामफल: राजाम्रः | काममोदी—-कस्तूरिका कामरसः - वसन्तः कामरूपका वन्दका कामरूपिणी- -अश्वगन्धा | कामरूपी-जाहकः कामवती— दारुहरिद्वा कामवल्लभः -आम्रः कामवल्लभा -रात्रिनामानि कामवृक्ष: वन्दका कामवृद्धिः ३३९ कामशरः आम्रः काम: - राजाम्रः कामाङ्कुशाः –नखम् कामाङ्गः --- आम्रः कामानन्दा - कस्तूरिका | कामान्धः - कोकिलः कामान्धः - श्येनः २३ कामायुधः - राजाम्रः कामिनी -- वन्दका कामिनी— दारुहरिद्रा कामिनी-सुरा कामिनी-स्त्री कामिवल्लभः सारसः कामी ४३० कामी-ऋषभः कामी --- चक्रवाकः कामी-पारावतः
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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