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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २२ धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां कषाया-खजूरी | काकतुण्डी-रीतिका काकः---प्रसहाः कषाया-धन्वयासः काकदन्तिका-काकादनी काकः-शालिः कषाया—यवासशर्करा काकद्रोण:-काकः काकाक्षः ४२८ कषायी-लकुचः काकनासा १३९ काकाक्षी-काकनासा कषायी--सर्जकः काकनासिका-काकनासा काकाक्षी-शुक्रभाण्डी कष्कलाङ्गी-गोराटिका काकनीला-जम्बू: काकाण्डः ४३५ कसारिका–कालिकः काकपादः-विकतः काकाण्डः-तिन्दुकः कसीसकः ४३० काकपादा-काकजङ्घा काकाण्ड:-महानिम्बः कसूचक:-मण्डुक: काकपीलु:-काकादनी काकाण्डी-तेजस्विनी क्सेरुका--गुण्डकन्दा काकपीलु:-तिन्दुकः काकाण्डी–दधिपुष्पी कसेरुः—गुण्डकन्दः काकपीलु:---श्वेतकाम्भोजी काकादनी १३९ कसेरुः-भद्रमुस्तकः काकपीलु:-सितगुञ्जा काकादनी-श्वेतकाम्भोजी कसेरुः--पृष्ठास्थि काकप्राणा-काकनासा काकाम्र:-समष्टिल: कसेरुः–मुस्ता काकफल:-निम्बः काकारिः-उलूकः कस्तुरः ४३४ काकफला-जम्बू: काकावा-काकजङ्या कस्तूरिका १०० काकबजिक:-तिन्दुकः काकाह्वा-काकमाची कस्तृरिका ४३९ काकभाण्डिका–अङ्गारवल्लिका काक्षी–सौराष्ट्री कस्तूरी ४२४ काकभाण्डी ४२४ काङ्क्षी-सौराष्ट्री कस्तूरी-मदनी काकभाण्डी–अङ्गारवल्लिका काकिनी--काकोली कस्तूरी-लोमशबिडाल: काकमाचिका ४३२ ४३२ काकी ४३१ कस्तूरी—सहस्रवेधी काकमाची १३८ काकी-काकोली कलारम्-- कुमुदम् काकमाची ४२९,४३१ काकुदम्-तालु कंधरः ४३५ काकमाता--काकमाची काकेक्षुः—काशः कम्-पानीयम् काकमुद्गा-मुद्गपर्णी काकेन्दुकः-तिन्दुकः कंसीयम्-कांस्यम् काकलीद्राक्षा-उत्तरापथिका काकोदुम्बरिका १८७ का. काकलीरवः–कोकिल: काकोल:-काकः काकनी–अङ्गारवल्लिका काकवन्ध्या ४२९ काकोली ३१ काकजया १३८, ४२५ काकवल्लभा---जम्बू: काकोली ४२९,४३०,४३१४३१ काकजङ्घा ४३१,४३७,४३७ काकवाक्-सारसः ४३२,४३७,४४०,४४० काकजम्बू:-जम्बूः काकवाचः-कोकडः काकोली-दधिपुष्पी काकणान्तका-काकादनी काकशत्रु:-उलूकः काकोली- लोमशा काकणन्ती—काकादनी काकशिम्बी-काकादनी काचतिलकम्नीलकाचोद्भवम् काकतिन्दुकम् ४३७ काकतिन्दुकः-तिन्दुकः काकसाह्वया-चूडामणिः काचवः ४२९ काकतुण्डफला-काकनासा काकस्फूर्जः-तिन्दुकः काचसंभवम्-नीलकाचोद्भवम् काकतुण्डा-काकनासा काकः २८० काचसौवर्चलम्-नीलकाचोद्भवम् काकतुण्डी ४३१ काकः ४३२ काचः कृत्रिमकम् -काकभाण्डी काक:----कोकिल: काचोत्थम्-नीलकाचोद्भवम् काकतुण्डी-काकादनी काकः----प्रतुदाः काञ्चनकदली-सुवर्णकदली For Private and Personal Use Only
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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