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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४ धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां कामी--सारसः कामुकः ४२९ कामुकः-चक्रवाकः कामुकः----पारावतः कामुका-स्त्री कामेष्ट:---राजाम्रः कामोपजीवः--कामवृद्धिः काम्बोजः-घोट: काम्बोजी-बाकुची काम्बोजी-माषपर्णी काम्भारी-काश्मयः काम्भोजी ४२६, ४३२ काम्भोजी----चूडामणिः काम्भोजी-बाकुची काम्भोजी-विट्खादिरः काययातः---विकण्टकः कायस्था ४३१ कायस्था--भद्रेला कायस्था--सुरसा कायस्था--सूक्ष्मला कायस्था-हरीतकी कायम्-~-शरीरम् कायः-शरीरम् कारण्डवः-हंसः कारण्ड:--प्लवाः कारम्भा---प्रियङ्गः कारली-करका कारवल्ली ४२७, ४३० कारवल्ली—कारका कारवल्ली-काण्डीरः कारवम् ---कृष्णलवणम् कारवी ४३६ कारवी-अजमोदा कारस्करः ३६६ कालपालकम्-कङ्कुष्ठम् कारिका-कारी कालपुष्पः-धत्तूरः कारी ३५८ कालपुष्पी-~-श्यामा कार्कट:-कर्कट: कालपशिका-कृष्णः कार्तस्वरम् ---सुवर्णम् कालप्रियकरी-अश्वगन्धा कार्तिकः ४१७ कालमालः-शालुकः कार्तिकिक:-कार्तिकः कालमाषी-बाकुची कार्पासः ४२७, ४२७ कालमूल:-काल: कापास:-तुण्डिका कालमेषिका—-मञ्जिष्ठा कार्पासी ३३८ कालमेषी ४३८ कार्पासी ४२६,४३५,४३७,४३९ कालमेषी—कृष्णः कार्मुकः-अतिमुक्तः कालमेषी-बाकुची कार्मुकः-चटकः कालमेषी-मजिष्ठा महानिम्बः कालमेषी-रजनी कार्मुकः-वशः कालमेषी-श्यामा कार्मकः-सोमवल्कः काललोहम्-लोहम् कार्मुकः--हिजल: कालवृन्तिका—पाटला कार्यप्रद्वेषः-आलस्यम् कालवृन्ती-पाटला कार्या---कारी कालशाकम् ४२७, ४३६ कार्श:-करम् कालशालि:-व्रीहिः कार्य:-कर्चुरम् कालस्कन्धः----उदुम्बरः कार्यः-लकुचः कालस्कन्धः-तमाल: कार्यः-सर्जकः कालस्कन्धः---तिन्दुकः कार्षः-कर्चरम् कालस्कन्धः-विट्खदिरः काणी--शतावरी कालस्कन्धा ४४० कार्ण्यम्-लोहोच्छिष्टम् कालः ८६ कालकण्टकः काकः काल:-कालत्रयम् कालकण्टक:-कासमदः काल:-कासमर्दः कालकण्टकः--जलकाकः काल:-कोकिल: कालकुष्टम्क ङ्कुष्टम् काल:-राला कालकूटकः--कारस्करः काल:-व्याघ्रनखम् कालकूटस्वरूपम् ३१४ काला ४३८ कालकूटम-विषम् कालागरु-कालेयकम् क्लकूटः-सर्जकः कालाञ्जनी ३३८ कालखण्डम्—शरीरास्थ्यादीनि कालादिकः-चैत्रः कालज्ञः—कुकुटः काला:-नीलिनी कालताल:-तमाल: कालानुसारकम्-तगरम् कालत्रयम् ४१५ कालानुसार्यकम् -- शैलेयम् कालानयासः--गुग्गुल: कालानुसार्यकः ४३८ कारवी--उपकुश्री कारवी-कुडुहवी कारवी-शतपुष्पा कारवेलक:--रसकः कारव्यः ४२९ For Private and Personal Use Only
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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