SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 581
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हू-तरणी (५४ तू-तणी- (सर्व०) तेरी। तेईस-(न०) '२३' की संख्या । (वि०) बीस तूतणी-(ना०) मूत्रनलिका । शिश्न । और तीन । व्यंग्य में)। तेउ-(सर्व०)१. उस । २. उसका । ३. वह । तू-तण-(सर्व०) तेरे। तेख-(न०) १. अभिमान । मजाज । २. तू-तगो-(सर्व०) तेरा। रीस । क्रोष । ३. रूठना । रुष्टता । तूंतणो-दे० तांतणो। नाराजी। तूती-(ना.) १. मुंह से बजाया जाने वाला तेखड़-(ना.) तीन जनों साथ । तीन की एक वाद्य । २. पानी की पतली धार । टोली । ३. मूत्रधारा। तेखणो-(क्रि०) १. नाराज होना। २. गुस्सा तू-थी-ज-(अव्य०) तेरे से ही। तेरे द्वारा करना। रीस करणी। ३. देखना । पेखना । देखरणो। तूं बड़ी-(ना०) तुबी । कमंडल । तेखळ-(न०) १. तीन जनों का साथ । तीन तूबी-(ना०) तू बी बेल का फल । लउपा। की टोली । २. असगुन समझी जाने वाली २. सूखा लउग्रा फल, जिसका साधु लोग तीन वस्तुओं का समूह । ३. घोड़ा ऊंट आदि के पैरों को बांधने की मोटी सांकळ जलपात्र बनाते हैं। तुमड़ी। तुबिया । या रस्सी । ४. घोड़ा, ऊँट आदि के तीन कमंडल। पैरों को बाँधने की क्रिया या भाव । तूंबो-(न०) १. तूंबा । २. तूबा फल को तेखीलो- (वि०) १. जल्दी-जल्दी नाराज हो खोखला कर के बनाया हुआ जल पात्र । जाने वाला । रीसटियो। २. साधारण ३. लउमा या लोका का सूखा फल जो बात के लिये नाराज हो जाने की प्रादत हलका होता है और पानी में तैरने के वाला। समय पास रखा जाता है। तेग-(ना०) तलवार । तृण-(न०) १. तिनका । २. घास । तेगाळ-(वि०) खड्गधारी । योद्धा । (ना०) तृतीय-(वि०) तीसरा । तेग। तलवार । तृतीया-(ना०) पक्ष की तीसरी तिथि । मला तथि । तेगियाँ-तिलक-(न०) १. शूरवीरों में श्रेष्ठ तीज। शूरवीर । २. शस्त्र धारण करने वालों तृप्त-(वि०) १. संतुष्ट । २. प्रसन्न । में श्रेष्ठ वीर पुरुष । तृप्ति-(ना०) १ इच्छा पूर्ति । संतोष । २. तेगी-(वि०)१. तीक्षण धार वाली(तलवार)। प्रसन्नता। २. क्रोधी । ३. तलवारधारी । तुषा-(ना०) १. पास । २. इच्छा । ३. तेगो-(न०)१.तेग । तलवार । २. बाँकापन । लोभ । टेढ़ापन । ३. भाटी राजपूत । (वि०) १. तृषावंत-(वि०) प्यासा ।। जोशीला। तेज । उग्र । २. शूरवीर । तृष्णा -(ना०) १. प्यास । २. लोभ । ३. बहादुर । किसी वस्तु को पाने की तीव्र इच्छा। तेघड़-(ना०) पैर का एक गहना। ते-(सर्व०) १. वह । २. वे । ३. उसको। तेज-(न०) १. प्रकाश । २. पातक । ३. उसे । ४. उसके । ५. जिस । ६. उस। प्रभाव । सामर्थ्य । ४. पराक्रम । ५. (अव्य०) १ इससे । २. अतः । इसलिये। तीक्ष्णता । ६. वीर्य । ७. स्वर्ण । सोना । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy