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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चौरंग चौपड़ो (३६७) चौपड़ो-(न०) १. हिसाब-बही । २. भाटों चौबोलो-(न०) एक मात्रिक छंद । की वंशावलियां लिखने और पढ़ने की चौमजलो-(वि०) चार मंजिल वाला । बही । ३. कुकुम चावल आदि मांगलिक चोखंडो। वस्तुएँ रखने का एक पात्र । चौमठ-(वि०) चारों ओर से बाँधी जाने चोपन-(वि०) पचास और चार । चौवन । वाली । जो (गठरी) चारों ओर से बांधी (न०) पचास और चार की संख्या। जा सके। (ना०) पुराने ढंग का एक संदूक । चौपनियो-(न०) १. छोटी बही । बहीनुमा चौमाळ-(न०) एक ब्राह्मण जाति । (वि०) नोट बुक । (वि०) चार पन्नों वाला। चार मंजिल वाला। चौपाई-दे० चोपाई। चौमासो-(न०) १. वर्षा ऋतु । २. वर्षा चौपानियो-दे० चौपनियो। ऋतु के चार मास । चतुर्मास । चौपायो-(न०) पशु । चतुष्पाद । चौपगो। चौमासो उतरणो-दे० चौमासो ऊठरणो। चौपाळ-दे० चोपाळ । चौमासो ऊठणो-(मुहा०) चातुर्मास का चौफकेर-दे० चौफेर । समाप्त होना। २. साधु संन्यासियों का चौफाड़-(ना०) १. चीर कर बनाये हुए चौमासे में एक जगह स्थाई रूप से रहने चार भाग । २. किसी वस्तु के किये हुए ___ की अवधि का समाप्त होना । चार भाग। (वि०) चीर कर जिसमें चौमासो करणो-(मुहा०) साधु-संन्यासियों चार भाग दिखाये गये हों। जैसे-प्रचार ___ का चौमासे में किसी एक स्थान पर वाला नींबू । स्थाई रूप से रहना। चौफाड़ियो-(वि०) चौफाड़ किया हुअा। चौमासो बैठणो-दे० चौमासो लागणो। चौफाड़ो-दे० चौफाड़ियो। चौमासो लागणो-(मुहा०) चातुर्मास का चौफूली-(ना०) १. चार पत्तियों वाला प्रारंभ होना । आसाढ़ शु० ११ से कार्तिक फूल या और कोई उपकरण । २. एक शु० ११ तक वर्षा ऋतु के चार मास प्राभूषण। चौफेर-(अव्य०) चारों ओर।। का प्रारंभ होना। चौफेरी-(क्रि०वि०) चारों ओर । (ना.) चौमासो वीतणो-(मुहा०) वर्षा ऋतु का (कुछ जातियों में) वर-वधु के प्रथम समाप्त होना । दे० चौमासो ऊठरणों ।। __ मिलन की रात्रि का नाम । चौमुखो-(वि०) १. चार मुह वाला । २. चौबार-(प्रव्य०) १. खुले में। २. खुले चार द्वारा वाला। (क्रि० वि०) चारों पोर। आम । सर्वसाधारण के सामने । चौबारो-(न०) १. चार खिड़कियों वाला चौमेर-(क्रि०वि०) चारों ओर । चौफेर । झरोखा । २. अटारी । ३. खुली बैठक। चौमेळो-(न०) १. आकस्मिक मिलन । ४. मकान की छत पर बना हुआ हवा- २. मिलन । दार कमरा । ५. चार द्वार वाला कमरा। चौरस-(न०) चतुष्कोण । समकोण । चौबीस-(वि०) बीस और चार । (न०) चतुर्भुज आकृति । (वि०) १. समतल । ___ चौबीस की संख्या । २४ । २. चौपहल । चौबो-(न०) व्रजभूमि का चतुर्वेदी ब्राह्मण। चौरंग-(न०) १. वस्त्र विशेष । २. चतुचौवा । चौबे । रंगिनी सेना। ३. युद्ध । ४. चार रंग । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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