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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir काहरी ( २३५ ) काझरणो काहरों-(क्रि०वि०) किस समय । कब । का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान । कदै। कर। काँकळ-(न०) युद्ध । काहळ-(न०) एक बड़ा ढोल जो युद्ध के काँकियो-(न०) कंधा। समय बजाया जाता था। काँकी-(ना०) कंघी। काहली-(वि०) १. उद्विग्न । व्यग्र । २. काँगरी-(ना०) १. छोटा कंगुरा। २. छोटा पगली । भोली। ३. डरपोक । कायर । बुर्ज । बुर्जी। (ना०) १. काहिली। सुस्ती। २. थकान। काँगरो-(न०) १. कंगुरा । २. बुर्ज । काहलो-(वि०) १. भोला । २. पागल । काँगलो-(न०) कंगला । काहुल-(न०) १. युद्ध का ढोल । २. बड़ा काँगसियो-(न०) कंघा । ढोल। काँगसी-(ना०) कंधी। काहुलणो-(कि०) १. युद्ध करना। २. काँगाई-(ना०) १. झगड़ा । २. कंगाली। क्रोध करना । ३. युद्ध का ढोल बजाना। ३. कांगो की झगड़ा करने की रीतिकाँई-(सर्व०) १. एक प्रश्न वाचक शब्द । भाँति । क्या। कई। (क्रि०वि०) १. कुछ । २. काँगारोळ-(ना०) १. लड़ाई-झगड़ा। २. क्यों । कैसे । ३. कैसे। वाद-विवाद । थुक्का-फजीती। ३. कंगालों काँकड़-(ना०) १. सीमा । सरहद। २. की लड़ाई । ४. कंगालों सा व्यवहार । किनारा । ३. जंगल । ५. कंगलापन । काँकण-(न०) १. कंगन । कंकण । कड़ा। काँगीरासो-के गांगीरासो। २. युद्ध । कांकळ । काँगो-(न०) १. भीख मांगने वाली एक काँकर्ण-डोरड़ो-दे० कांकरण-डोरो। मुसलमान जाति । २. इस जाति का काँकरण-डोरो-(न०) १. वर-वधु के हाथों व्यक्ति । लड़झगड़ कर भीख वसूल करने में बाँधा जाने वाला मंगल-सूत्र । विवाह- वाला । कंगला । (वि०) झगड़ा करने सूत्र २. दृष्टि-दोष से बचने के लिये वर- वाला। वधु के हाथ-पांवों में बाँधा जाने वाला एक काँचळियो-पंथ-(न०) एक वाम मार्ग । तांत्रिक सूत्र । चोली पंथ। काँकरिणयो-(न०) स्त्रियों की वेणी को काँचळी-(ना.) १. कंचुकी । २. साँप की अधिक लम्बी करने के लिये उसमें गूथी केंचुली। ३. विवाह प्रादि अवसरों पर जाने वाली एक विशेष प्रकार की वेणी। लगने वाला पुत्री का नेग । पुत्री नेग । पाठी। कन्या नेग । ४. भात । माहेरो। मामेरो। काँकणी-(न०) स्त्रियों की कलाई में पहिने हाथ-कांचळी। ___ जाने वाला एक आभूषण। काँचळी करणो-(मुहा०) माहेरा करना। काँकर-(क्रि०वि०) १. कैसे । किस प्रकार । भात भरना । हाथ-कांचळी करणो । कोकर । २. क्यों । क्यु। (न०) १. काँचवो-(न०) कंचुकी । कांचळी । कंकर । २. कंकरीली भूभि । काँचू-(न०) कंचुकी । काँचळी । कांकरी-(ना०) कंकड़ । कंकरी। काँजी-(ना०) धान्याम्ल । एक खट्टा पेय । काँकरो-दे० काकरो। काँझणो-(क्रि०) टट्टी फिरने के समय कांकरोली-(ना०) मेवाड़ में वल्लभ संप्रदाय कन्जी के कारण जोर करना और जोर For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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