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कंवारी ( २२१)
काकीडो के अवसरों पर नजराना के रूप में प्रजा नालायक । ३. अकर्मण्य । ४. स्त्रण । से लिया जाता था।
५. मूर्ख । (न०) १. सर्वकाल में समान कँवारी-(वि०) अविवाहिता । क्वारी। रूप से स्थित । परमेश्वर । सदा कायम कँवारी घड़ा-(ना०) १. युद्ध के लिये रहने वाला। ईश्वर । २. ज्वार का वह
तैयार सेना। २. अनामत सेना। ३. दाना जो मुट्टे में दाना बनते समय कीड़ा
युद्ध नहीं लड़ी हुई सेना। कंवारी घड़। लगकर बिगड़ जाता है और कुछ लंबा कॅवारी लापसी-(ना०) बारात को दुल्हे के होकर मिट्टी से भर जाता है। पाणिग्रहण के पूर्व दिया जाने वाला वह काई-(प्रव्य०) अथवा । या । (सर्व०) प्रथम भात ( = भोजन) जिसमें मांगलिक १. कोई । २. कुछ। ३. कुछ भी। (न०) रूप से गुड़ की लापसी बनाई जाती है। १. पानी की एक घास । २. दाँतों का कॅवारो भात। .
___ मैल । ३. होठों की पपड़ी। ४, मैल । कँवारो-(वि०) क्वारा । अविवाहित । काकडी-(ना०) ककड़ी। खीरा । कँवारो भात-दे० कँवारी लापसी।
काकड़ो-(न०) १. कपास । बिनौला । कंस-(न०) १. मथुरा के राजा उग्रसेन का २. गले के भीतर की दोनों ओर की पुत्र । २. प्याला। ३. मजीरा । ४. गाँठे । ३. जीभ की जड के ऊपर लटकने कांसा।
वाला मांस खंड । गले का कोमा । कंसळो-दे० कानखजूरो।
घंटी। कंसार-(न०) एक प्रकार का मिष्टान्न । काकनदी-(ना०) जैसलमेर राज्य की इतिकंसारी-(ना०) १. फुदकने वाला एक छोटा हास प्रसिद्ध प्राचीन राजधानी लुद्रवा के
कीड़ा । झींगुर । २. कंसारे की स्त्री। खंडहरों के निकट बहने वाली एक बरसाती कंसारण।
नदी, जिसकी तट पर उमरकोट के महेंकंसारो-(न०) ठठेरा । कंसारा । कसेरा। दरा की प्रसिद्ध प्रेमिका मूमल की मैड़ी
बनी हुई है। कंसासुर-(न०) कंस।
काकरियो-दे० काकरो। का-(प्रव्य०) अथवा या तो। (सर्व०) क्या। (प्रत्य०) संबंधकारक अथवा छठी विभक्ति
काकरेज-(न०) मारवाड़ की दक्षिण सीमा
पर उत्तर गुजरात का एक स्थान तथा का बहुवचन रुप ।
प्रदेश जहाँ के बैल और गायें प्रसिद्ध हैं। काइ-(प्रव्य०) अथवा । या । (क्रि० वि०) १.क्यों। २.क्या। (सर्व०) १.कोई। २.क्या।
काकरेजी-(वि०) काकरेज (उत्तर गुजरात)
____ का प्रसिद्ध (बैल)। काकरेज संबंधी। काइम-(वि०) १. सर्वकालीन । २. सर्वव्यापक। ३. सर्वज्ञ । सर्वविद । ४. सर्वद्रष्टा।
काकरो-(न०) १. पत्थर का छोटा टुकड़ा।
२. एक घास । ५. सर्वशक्तिमान । ६. सर्वकाल में समान
काकळ-(न०) १. स्वजन के दुख से कातर रूप से स्थित । ७. उपस्थित । ८. कायम।
होकर रोना-पीटना। २. शोक । ३. युद्ध । स्थिर । ६. निश्चित । १०. स्थापित ।
काकाजी-(न०)१. चाचाजी। २. पिताजी। (न०) ईश्वर । परमात्मा ।
काकीडो-(न०) एक जाति की छिपकली काइमराव-(न०) सर्वकाल में समान रूप
जो सूर्य-किरणों की सहायता से अपने से स्थिर रहने वाला परमात्मा ।
शरीर को अनेक रंगों में बदलती है। काइमो-(वि०) १. निकम्मा । २. अयोग्य ।
गिरगिट ।
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